Sunday, March 14, 2010

फिर याद आया कोई

फिर याद आया कोई
हुयी आँखें फिर से नम|
फिर दिल में वही टीस
उठी फिर से वही चुभन||

अक्सर मैं सोचता हूँ
हाय कैसे मेरे करम|
या खुदा तू जवाब दे
क्यों ढाया ये सितम||

यूँ तो छोर मैं चला
वो गलियां वो वतन|
लेकिन ये यकीं है
वो याद आयेंगे हरदम||

फिर आँखों में दिख रहे
वो पल साथ थे जो हम|
यूँ संग तो वो नहीं
पर चाहत ना हुयी कम||

फिर याद आया कोई
हुयी आँखें फिर से नम|
फिर दिल में वही टीस
उठी फिर से वही चुभन||

- अमिताभ रंजन झा