Saturday, November 16, 2013

भाई


एक उदर में नौ मास रहे,
एक मात -पिता की परछाई,
एक ही घर में पले-बढ़े,
बांटा सुख-दुःख, की प्यार-लड़ाई।

काम ने हमको जुदा कर दिया,
भाग्य ने न की सुनवाई,
अलग-अलग हम शहरों में रहते,
पर प्रेम न कभी घटाई।।

कभी-कभी ही अब हम मिले जब,
घूमे-खेले, खाये मिठाई,
हफ्ते छुट्टी के क्षण में बीते,
हम ले अश्रुपूर्ण विदाई।

जिनसे मिलती हिम्मत-ताक़त,
वो मेरे हैं अनोखे भाई,
जिनके लिए समस्त है अर्पण,
वो मेरे हैं अपने भाई।।

- अमिताभ रंजन झा

Thursday, November 14, 2013

जब तक प्राण शेष है संग मिल के जिए


एक कक्ष या कक्षा में रहें साथ साथ
नित्य सुबह से लेकर देर शाम तक
लिंग का अनुपात किन्तु चिंता का विषय
एक राधा के पीछे हैं श्याम दस

विद्यालय से कार्यालय तक एक हाल है
कौन कान्हा है श्रेष्ठ राधिका का सवाल है
प्रेमी प्रेमिका प्रेम से करते रहते वार्तालाप
बांकी पंक्ति में खड़े जलते करते विलाप

जब तक प्राण शेष है संग मिल के जिए
प्रेमाग्नि के अथाह सागर में हम प्रिय
जितनी तुम प्रज्वलित उतना मैं जल रहा
ह्रदय तेरा प्रफुल्लित दिल मेरा उछल रहा

जब होती विराजमान मेरे सम्मुख समक्ष
अपलक तुम मुझे मैं तुमको देखता रहा
ईश्वर भी साथ है बात है ये सत्य प्रत्यक्ष
समय रुक जा रहा और आसमान झुक रहा

अड़चने हर मोड़ पर डाले लज्जा रिवाज़
कही मजहब का वास्ता कभी टोके समाज
आँखों आँखों में निफिक्र बात होती रही
बिन कहे दिल की बात दोनों ने कही

यज्ञ हमारा ये अब रहे हो के सफल
गर ना भी हुआ तो ना भूले ये पल
तुम वादा करों मैं भी दू ये वचन
मिले न मिले पर जियेंगे सनम

भ्रमर पुष्प के प्रेम का ये चक्र
निरंतर आज भी अब तक चल रहा
कल थामी थी हमने बागडोर
नौजवान आज से भार तुम पर रहा

- अमिताभ रंजन झा

Wednesday, November 13, 2013

Satya - Naash

Two executives Satya Prakash nick named Satya and Avinash nick named Nash (A as A not like aa) were in a meeting inside a room for long time. A colleagues comes near the room and asks another colleague sitting near the room "Who all are in room"? He replies "Satya - Naash"!

Kailo Katia and Jerald Gay

There was a time when two opening batsmen from West Indies were batting like anything. The name of major partner was Kailo Katia and other was Jerald Gay.

British government honoured Kailo Katia with Sir. Next day the news headline was Sir Kailo Katia – Jerald gay Rocks and read as Sarkailo Khatiya Jara lage rocks!

Sunday, November 3, 2013

दीवाली की हार्दिक शुभकामना!


आजकल पटाखो का प्रचलन काफी बढ़ गया है । पिछला तीन दीवाली जर्मनी में बीता।

Diwali 2012




Diwali 2011


Diwali 2010



इस वर्ष के दीवाली का इन्तजार था। पर इन तीन चार वर्षो में दीवाली काफी बदल गया है। पटाखों का शोर दीवाली के एक हफ्ते पहले से शुरू है और रुकने का नाम ही नहीं ले रहा है। सर दर्द हो रहा है।

पहले ऐसा नहीं था। बचपन के दीवाली की धूमिल यादे बाकी हैं। उस समय हम पुरे घर में तीषी तेल, किरासन तेल और घी के दिए जलाते थे। फटक्का का प्रचलन नहीं था, हुक्का लोली और संठी का जमाना था। हुक्का लोली कुछ आज कल के योयो कि तरह का होता था। पुराने धोती या साड़ी के टुकड़े को लपेट का छोटी गेंद बना ली और धोती या साड़ी के कोर से बांध दिया। फिर एक पतला तार बीच में दाल दिया। तेल में गेंद को डुबाया, आग लगायी और गोल गोल घुमाया और चिल्लाया "हुक्का लोली ". छुड़छूड़ी के बदले जूट के पौधे से निकला संठी चलता था, सफ़ेद रंग का और बहुत हलका जैसे थर्मोकोल की छड़ी। अब तो बस यादें ही हैं।

एक तरफ विज्ञान ने जीवन को बहुत आसान बना दिया है। दूसरे तरफ धरती, प्राणी और पर्यावरण पर दुष्प्रभाव भी पड़ने लगा है। हमें अच्छी बातें अपनानी चाहिए और बुरे प्रभाव का त्याग करना चाहिए। हमें पटाखो का कम प्रयोग करने की कोशिश करनी चाहिए।

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दिया तले अँधेरा सुना होगा! पर जब अनेक दिया जलते हैं तो वो एक दूसरे के नीचे के अँधेरे को को मिटा देते हैं और हर तरफ प्रकाश ही प्रकाश होता है! एकता में बल है! मिलजुल कर दीवाली मनाए!

जब कभी हो घना अँधेरा
दूर हो जब तक सवेरा
प्रकाश ज्ञान का दिया जला लो!


सब गोटाके दीपावली के हार्दिक शुभकामना!
सब रौवा लोगन के दीपावली के शुभकामना!
सब लोग के दिवाली के शुभकामना देत्ते ही!
Wish you all a happy and safe Diwali!
आप सब लोगो को दीवाली की हार्दिक शुभकामना!


- अमिताभ रंजन झा