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Auf Wiedersehen Deutschland! Goodbye Germany! I cannot believe how fast the great two years have gone thanks friends and collegues yo...
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किसानों की पुरानी जमीन बिल्डर सरकार से मिल के ले रही है। किसानो को सौ के भाव दे कर हमें थव्जेंड्स पर स्कवैर फीट में बेच रही है।। एक घर ...
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मंजूर है मुझे उनकी घने जुल्फों की हाजत। कहने से नहीं हम उनके चुप रह जाने से डरते हैं।। दिलफेंक है थोड़े दिल की आती न हिफाजत। सामना से न...
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जमाना सचमुच बदल गया है। किसी को याद है बेडिंग और बेडिंग कसने की? चलिए चलते हैं कुछ दशक पहले। अब हम सफ़र के वक़्त बेडिंग ले के नहीं चलतेह...
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टू जी सी ए जी हर घोटाले किये जी मैं हूँ पीएम जी करता हूँ मैं जो मेरे मंत्री करे जी लूटे करोड़ फॉर सातों जनम बोली है नरम माय नेम इज मोह...
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जशन-ए-आज़ादी पे है आज हसरत| हो सख्त मेहनत और मशक्कत|| गरीबी बदहाली को दे जरा फुर्सत| और अम्नोखुशहाली की हो सदा बरकत|| ए मालिक कर इन...
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दुनिया कितनी बदल गयी है! सिखाया था कभी दुनिया को नालंदा ने। ज़माने को चलाने के नुस्खे अब हार्वर्ड में मिलते हैं।। खिलाया था कभी माँ ने...
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Religions established with a pure and honest intention to lead human being on the path of faith, hope, purity and harmony. But over-enthusi...
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युवा एवं प्रभावशाली व्यक्तित्व के धनी अविनाश रंजन झा जी मैनेजमेंट स्नातक छथि आ ओ एम् एन सी नौकरी त्याग का का राजनीति में उतरला. तक़रीबन एक...
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जर्मनी में बसा हूँ, हिंदी में लिखना शौक, सोर्स कोड लिखना पेशा! मित्रों, मुझसे आप फेसबुक, ट्विटर, लिंकडीन, यॉरकोट, यूट्यूब इत्यादि पे जुड़ सकत...
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परिचित, अपरिचित, दोस्त, दोस्त ए चड्डी उनके जीवनसाथी, मम्मी, डैडी, गुड्डा, गुड्डी थोडा दिमाग का दही थोड़ी सी हो जाये गुदगुदी तो मेहरबा...
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नौ महीने उदर में समाये रक्खा, लहू से सींचा नाभी से लगाये रक्खा, अपनी धड़कन से दिल मेरा जगाये रक्खा, मीठे सपनो में मुझको बसाये रक्खा| ...
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भारतवर्ष की संतान भारतवर्ष की तू है संतान, ये बात कभी भी तू भूले न। ऐसे करना काम महान, मन ख़ुशी से समाये फूले न।। एक मुख दो आंख-कान, दस ...
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A highly networked team of NRIs and NRBs in different part of world played a significant role in election campaign for BJP. Campaign was don...
Amitabh Jha

- Amitabh Jha (प्रवासी | Pravasi | The Migrant)
- जर्मनी में बसा हूँ, हिंदी में लिखना शौक, सोर्स कोड लिखना पेशा. बिहार के मधुबनी जिले में एक छोटे से खुबसूरत और हरे-भरे गांव से हूँ. पटना से मेट्रिक किया फिर आई आई टी और बी आई टी की तय्यारी में वर्षों तक लगा रहा किन्तु सफलता हाथ नहीं लगी. बहुत ठोकरे खाई. 2000 में एक किताब पढ़ी शिव खेरा की, "यू कैन विन". किताब का पहला पृष्ठ मन में बैठ गया "गुब्बारे का बाहर का रंग नहीं, उसके अंदर की बात उसको ऊपर ले जाती है". अच्छी किताब है, जब मौका मिले जरुर पढ़िए. मैनेजमेंट में स्नातकोत्तर डिप्लोमा ली, छोटी मोटी नौकरी की, फिर बंगलोर आ गया. नौकरी के लिए बैंगलोर की गलियों की खाक छानी और धीरे धीरे आगे बढ़ता गया और आज ठीक ठाक स्तिथि में हूँ एक आई टी प्रोफेसनल के रूप में. Instagram: amitabhrjha Twitter: amitabhrjha Facebook: amitabhrjha Amazon: https://www.amazon.in/dp/1647601037 कविताकोश: http://kavitakosh.org/kk/अमिताभ_रंजन_झा_'प्रवासी%27 YouTube: https://www.youtube.com/user/amitabhrjha YourQuote: https://www.yourquote.in/amitabh-jha-s23o
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