Amitabh Jha's Blog
Saturday, September 26, 2020

मुझे मना लेना

›
Thanks to over 17000 readers for kind likes and over 2000 shares on YourQuote and over 21000 readers for following. मैं तेरे दरवाजे पे कल ...
Thursday, September 24, 2020

राजनीतिज्ञों की प्रतियोगिता

›
राजनीतिज्ञ दुहने में माहिर होते है। नहीं होते तो शीर्ष पर नहीं पहुंच पाते। शायद इस तथ्य से प्रेरित होकर आयोजकों ने मंगल ग्रह पर एक बार अखिल...
Thursday, May 21, 2020

Koi Deewana Rehta - Poetry - Amazon

›
मेरी पुस्तक कोई दीवाना रहता है अमेज़न पर उपलब्ध है India amazon.co.in USA amazon.com Germany amazon.de England I am also on YourQuote...
Sunday, October 6, 2019

सरफ़रोशी

›
सरफ़रोशी फिर सिरफिरों में वही है सरगोशी फिर सरफ़रोशों की है सरफ़रोशी फिर गांधीके शहादत सी ख़ामोशी फिर गाँधीवाद को  ठहरा रहे दोषी गांधी गांध...
Friday, October 4, 2019

मुक़म्मल मुक़र्रर

›
मुक़म्मल मुक़र्रर मोहब्बत की तो बेइंतिहा मुक़म्मल दिल टूटा तो कहा मुक़र्रर मुक़र्रर दोस्ती की तो जी जान से मुक़म्मल दुश्मनी की तो कहा मुक़र्रर ...
Wednesday, October 2, 2019

राजनीति-कुंजी

›
राजनीति-कुंजी राजनीति समझन में वक़्त न जाया कीजै राजनीति-कुंजी ही बस आजमाया कीजै विकास, रोजगार की बातें घुमा दांया-बांया कीजै राष्ट्रवाद ...
Tuesday, October 1, 2019

भूख

›
भूख पत्थर दिल भी देख मंजर पिघल गया भूख थी जिसे भूख ने ही निगल लिया बेघर था जो खुदा के घर निकल लिया माटी का जो बना मिट्टी में मिल गया...
Monday, September 30, 2019

पानी-पानी

›
पानी-पानी सवाल एक है आज सबकी ज़ुबानी नेता और बाबू कब होंगे पानी-पानी? वो नहीं हुए, हुआ शहर पानी-पानी नेता और बाबू कब होंगे पानी-पानी? र...
Sunday, September 22, 2019

बेटी

›
सृष्टि का विकास चरम पे अब बेटीयों का नाश हो मनुष्यों का सर्वनाश हो इस सृष्टि का विनाश हो हे मूर्ख क्यूँ है नासमझ क्यूँ नहीं इतनी समझ स...
Saturday, September 14, 2019

हिंदी मेरी प्यारी हिंदी

›
हिंदी मेरी प्यारी हिंदी सदियों से हमारी हिंदी जग में सबसे न्यारी हिंदी संस्कृत की दुलारी हिंदी सीखने में आसान हिंदी करोड़ों की जबान हिंद...
›
Home
View web version

Amitabh Jha

My photo
Amitabh Jha (प्रवासी | Pravasi | The Migrant)
जर्मनी में बसा हूँ, हिंदी में लिखना शौक, सोर्स कोड लिखना पेशा. बिहार के मधुबनी जिले में एक छोटे से खुबसूरत और हरे-भरे गांव से हूँ. पटना से मेट्रिक किया फिर आई आई टी और बी आई टी की तय्यारी में वर्षों तक लगा रहा किन्तु सफलता हाथ नहीं लगी. बहुत ठोकरे खाई. 2000 में एक किताब पढ़ी शिव खेरा की, "यू कैन विन". किताब का पहला पृष्ठ मन में बैठ गया "गुब्बारे का बाहर का रंग नहीं, उसके अंदर की बात उसको ऊपर ले जाती है". अच्छी किताब है, जब मौका मिले जरुर पढ़िए. मैनेजमेंट में स्नातकोत्तर डिप्लोमा ली, छोटी मोटी नौकरी की, फिर बंगलोर आ गया. नौकरी के लिए बैंगलोर की गलियों की खाक छानी और धीरे धीरे आगे बढ़ता गया और आज ठीक ठाक स्तिथि में हूँ एक आई टी प्रोफेसनल के रूप में. Instagram: amitabhrjha Twitter: amitabhrjha Facebook: amitabhrjha Amazon: https://www.amazon.in/dp/1647601037 कविताकोश: http://kavitakosh.org/kk/अमिताभ_रंजन_झा_'प्रवासी%27 YouTube: https://www.youtube.com/user/amitabhrjha YourQuote: https://www.yourquote.in/amitabh-jha-s23o
View my complete profile
Powered by Blogger.