फिर याद आया कोई
हुयी आँखें फिर से नम|
फिर दिल में वही टीस
उठी फिर से वही चुभन||
अक्सर मैं सोचता हूँ
हाय कैसे मेरे करम|
या खुदा तू जवाब दे
क्यों ढाया ये सितम||
यूँ तो छोर मैं चला
वो गलियां वो वतन|
लेकिन ये यकीं है
वो याद आयेंगे हरदम||
फिर आँखों में दिख रहे
वो पल साथ थे जो हम|
यूँ संग तो वो नहीं
पर चाहत ना हुयी कम||
फिर याद आया कोई
हुयी आँखें फिर से नम|
फिर दिल में वही टीस
उठी फिर से वही चुभन||
- अमिताभ रंजन झा
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