पिंजड़े में बड़ा सा पंछी कमजोर अधमरा सा पंछी भविष्य से अनजान था पल भर का वो मेहमान था एक दिन बुलंद कर हौसला क़ैद से बस उड़ चला देख के उड़ान उसकी एक नई पहचान उसकी दुनिया ये ठिगनी हो गयी आसमां भी कम पड़ गया
अमिताभ रंजन झा 'प्रवासी'
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