Sunday, April 1, 2012

सफल राजनीतिज्ञ मडोना कुमार

भारत की पावन धरा पर अनगिनत अनोखे राजनीतिज्ञ हुए हैं| ये कहानी है एक सफल राजनीतिज्ञ की|

जब वो छोटा सा था बहुत जिद्दी था| हमेशा जिद करता| माँ ये दो न, माँ वो दो न| माँ दोना, माँ दोना| तो बापू ने उसका नाम मडोना कुमार रख दिया|

कहानियों का उसपे जबर्दश्त प्रभाव होता| श्रवण कुमार की कहानी सुनी मन में गहरा प्रभाव पड़ा| हमेशा सोचता उस बर्तन के बारे में जिसमें एक तरफ खीर बनती तो दूसरी तरफ खिचड़ी और किसी को शक न हो| और वो हमेशा रिवर्स थिओरी अपनाता|

बहुत सफल रहा अपने विद्यार्थी जीवन में| बड़ा हुवा| लगा वो राजनीती के लिए जन्मा है| चुनाव लड़ने की ठानी|

जिस क्षेत्र से खड़ा हुवा वह के मुख्य सड़क पे बहुत लोग मारे जाते दुर्घटना में, बहुत सारे लोग कर्रेंट लगने से मारे जाते और बहुत सारे लोग बेरोजगारी और कर्ज से तंग आ कर ख़ुदकुशी कर लेते| कारखानों में मजदुर का शोषण होता, व्यापारी उद्यमी लोगो का खून चूसते| पानी की समस्या थी, लोग के घरों में पानी नहीं आता| वादा किया, विजय हुवा तो इलाके में ही नहीं पुरे राज्य में सारी समस्याओं का समाधान करेगा|

लोग जानते थे, मेधावी है, जो कहता है करता है| सो लोगो ने खूब साथ दिया, रिकॉर्ड मत से जीता|

मंत्री बन पथ निर्माण विभाग सँभालने लगा| कानून निकाला कही भी नयी सड़क नहीं बनेगी, किसी सड़क की मरम्मत नहीं होगी| कुछ महीनो में सड़क जर्जर हो गए, वाहनों की गति थम गयी|

लोगो के आँखों में आँशु थे! मडोना ने कर दिखाया| अब कोई अपने प्रियेजन नहीं खोता सड़क दुर्घटना में| जहा जाता जय हो जय हो की गूंज होती|

मुख्य मंत्री ने एक दिन कहा मडोना जी अब बिजली विभाग संभालिये| प्रभार संभाला, हुक्म जारी किया, राज्य में बिजली बंद की जाए|

लोगो के आँखों में आँशु थे! मडोना ने कर दिखाया| अब कोई अपने प्रियेजन नहीं खोता कर्रेंट लगने से|

फिर गृह मंत्रालय संभाला, ऐसा कानून और व्यस्था बनाया कि उद्यमी बाप बाप कर राज्य से भाग गए| उद्योग बंद हो गए|

लोगो के आँखों में आँशु थे! मडोना ने कर दिखाया| अब कोई शोषण नहीं, कोई खून चूसने वाला नहीं|

फिर जल नियोजन संभाला, सारे बांधों को दिन रात खड़े होके तुड़वा डाला|

लोगो के आँखों में आँशु थे! मडोना ने कर दिखाया| अब उनका घर आँगन पानी से भरा रहता था|

अब न सड़क थी, न बिजली, न काम था, और घर-खेत डूबे थे सो लोग पलायन करने लगे|

जो लोग बचे रह गए उनकी आँखों में आँशु थे! मडोना ने कर दिखाया| जब लोग ही नहीं, तो ख़ुदकुशी कौन करता|