मैं तेरे दरवाजे पे कल आया था
धड़कते दिल से खटखटाया था
तूने अंदर बुलाया, नहीं आया था
चाय जो पूछा, हाँ न कह पाया था
दिल से मजबूर मैं फिर आऊँगा
फिर से कोई बहाना बनाऊंगा
आज भी तुम चाय को पूछोगी
मैं शर्माऊँगा, फिर मेरी ना होगी
कहूँ अगर कि मैं चाय नहीं पीता
कॉफ़ी ही पी लो, तुम ये कहना
मैं कुछ भी कहूँ तुम मना लेना
बन गयी है, कह के पिला देना
मैं कहूँ कि गर्मी है आज बहुत
नींबू का शर्बत ही तू बना लेना
ना कितना भी करूँ, मना लेना
मुझे पीना है ,कह के पिला देना
मिन्नते करना, मैं रुक जाऊँगा
दो पल साथ रह, खुल जाऊँगा
अपनी यादों से दिल बहलाऊँगा
अपनी बातों से बहुत हँसाऊँगा
शर्मिला हूँ पर मन का सच्चा हूँ
मिलने मिलाने में जरा कच्चा हूँ
जवानी की दहलीज पे बच्चा हूँ
सीधा सादा सा हूँ बड़ा अच्छा हूँ
तू मिले ज़िन्दगी संवर जाएगी
ज़िन्दगी खुशियों से भर जाएगी
मोहब्बत की कली खिल जाएगी
मांगी है जो मन्नत वो मिल जाएगी
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