To the corrupt, greedy, characterless, mean... politicians of India.
भारत के राजनीतिज्ञों का
आज चित्र विचित्र है|
ह्रदय में है कालिख
निम्न उनका चरित्र है||
अनुराग विद्वेष के बिना
कर्त्तव्य की शपथ खाते हैं|
कैसा शपथ है सोच ये
मन ही मन मुस्कराते हैं||
नोच रहे देश वो
जैसे निर्मम चील हैं|
देस लिटा सलीब पर
ठोंक रहे कील हैं||
सफ़ेद है लिबास किन्तु
दुष्कर्म जघन्य है|
क्षमा प्रार्थना भी
अपराध अक्षम्य है||
अशिक्षा, गरीबी, महंगाई,
भ्रष्टाचार हमें उपहार है|
सहन अब न हो हमें
नए अवतार का इन्तजार है||
-अमिताभ रंजन झा
Thursday, July 19, 2012
अवतार का इन्तजार
Labels:
India corruption,
कविता
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