Completed 10 Years at Bosch!
A poem dedicated to life changing milestone!
दस वर्ष यहां मैं तय कर आया।
मन प्रश्न करे क्या खोया पाया?
दशक पूर्व मैं अनगढ़ शीशा था।
जोश था पर अनुभव फ़ीका था।।
ऊँगली था मैं मुट्ठी का ना पता था।
मिल बढ़ने की युक्ति ना पता था।
विद्यालय ने था सुर सात सिखाया।
कार्यालय ने लाखों राग सिखाया।।
यहाँ नवतकनीको की पूँजी पाया।
सुखी जीवन जीने की कुँजी पाया।।
कुछ जीवन भर के मित्र भी पाया।
कुछ व्यक्ति बड़े विचित्र भी पाया।।
हर पल ने मुझे कुछ नया सिखाया।
आधा विश्व हैं घूमा घर भी बसाया।।
कितने सपनों को हैं मैंने पाया।
ज्ञान आत्म-सम्मान कमाया।।
संतुष्ट रहा और बढ़ता आया।
दस वर्ष यहां मैं तय कर आया।।
- अमिताभ रंजन झा
Translating for my friends who cant understand Hindi
दस वर्ष यहां मैं तय कर आया।
मन प्रश्न करे क्या खोया पाया?
Das varsh yaha mai tay kar aaya
man prashna kare kya khoya paaya
I spent ten years here
My mind is asking what I gained and lost
दशक पूर्व मैं अनगढ़ शीशा था।
जोश था पर अनुभव फ़ीका था।।
ऊँगली था मैं मुट्ठी का ना पता था।
मिल बढ़ने की युक्ति ना पता था।
dashak poorva mein angadh seesha tha
tosh tha par anubhav feeka tha
ungli tha mein mutthi naa pata thaa
mil badhne ki yukti na pata tha
Ten years back I was like ordinary glass
I was full of enthusiasm but lacked experience
I was like a alone finger and didn't know about power of fist(team)
I did not know the art of moving as a Team
विद्यालय ने था सुर सात सिखाया।
कार्यालय ने लाखों राग सिखाया।।
यहाँ नवतकनीको की पूँजी पाया।
सुखी जीवन जीने की कुँजी पाया।।
vidyalay ne tha sur saat sikhaya
karyalay ne lakhon raag sikhaya
yahan nav takniko ki poonji paaya
sukhi jivan jeene ki kunji paaya
School taught me the seven surs (notes)
Office taught me million songs
I gained capital of latest technologies and knowledge
I learnt the key of leading happy life
कुछ जीवन भर के मित्र भी पाया।
कुछ व्यक्ति बड़े विचित्र भी पाया।।
हर पल ने मुझे कुछ नया सिखाया।
आधा विश्व हैं घूमा घर भी बसाया।।
kuch jivan bhar ke mitra bhi paaya
kuch vyakti bade vichitra bhi paaya
har pal ne mujhe kuch naya sikhaya
aadha vishwa hai ghooma ghar bhi banaya
I made some friends for forever
I met some strange ones as well
Every moment taught me something new
I visited half the world and made a home too
कितने सपनों को हैं मैंने पाया।
ज्ञान आत्म-सम्मान कमाया।।
संतुष्ट रहा और बढ़ता आया।
दस वर्ष यहां मैं तय कर आया।।
kitne sapnon ko hain maine paaya
gyan atama-samman kamaya
santusht raha aur badhta aaya
das varsh yaha main tay kar aaya
Many of my dreams were fulfilled
I earned knowledge and self-esteem
I was contented and kept going on
And that is how I completed ten years
- अमिताभ रंजन झा
A poem dedicated to life changing milestone!
दस वर्ष यहां मैं तय कर आया।
मन प्रश्न करे क्या खोया पाया?
दशक पूर्व मैं अनगढ़ शीशा था।
जोश था पर अनुभव फ़ीका था।।
ऊँगली था मैं मुट्ठी का ना पता था।
मिल बढ़ने की युक्ति ना पता था।
विद्यालय ने था सुर सात सिखाया।
कार्यालय ने लाखों राग सिखाया।।
यहाँ नवतकनीको की पूँजी पाया।
सुखी जीवन जीने की कुँजी पाया।।
कुछ जीवन भर के मित्र भी पाया।
कुछ व्यक्ति बड़े विचित्र भी पाया।।
हर पल ने मुझे कुछ नया सिखाया।
आधा विश्व हैं घूमा घर भी बसाया।।
कितने सपनों को हैं मैंने पाया।
ज्ञान आत्म-सम्मान कमाया।।
संतुष्ट रहा और बढ़ता आया।
दस वर्ष यहां मैं तय कर आया।।
- अमिताभ रंजन झा
Translating for my friends who cant understand Hindi
दस वर्ष यहां मैं तय कर आया।
मन प्रश्न करे क्या खोया पाया?
Das varsh yaha mai tay kar aaya
man prashna kare kya khoya paaya
I spent ten years here
My mind is asking what I gained and lost
दशक पूर्व मैं अनगढ़ शीशा था।
जोश था पर अनुभव फ़ीका था।।
ऊँगली था मैं मुट्ठी का ना पता था।
मिल बढ़ने की युक्ति ना पता था।
dashak poorva mein angadh seesha tha
tosh tha par anubhav feeka tha
ungli tha mein mutthi naa pata thaa
mil badhne ki yukti na pata tha
Ten years back I was like ordinary glass
I was full of enthusiasm but lacked experience
I was like a alone finger and didn't know about power of fist(team)
I did not know the art of moving as a Team
विद्यालय ने था सुर सात सिखाया।
कार्यालय ने लाखों राग सिखाया।।
यहाँ नवतकनीको की पूँजी पाया।
सुखी जीवन जीने की कुँजी पाया।।
vidyalay ne tha sur saat sikhaya
karyalay ne lakhon raag sikhaya
yahan nav takniko ki poonji paaya
sukhi jivan jeene ki kunji paaya
School taught me the seven surs (notes)
Office taught me million songs
I gained capital of latest technologies and knowledge
I learnt the key of leading happy life
कुछ जीवन भर के मित्र भी पाया।
कुछ व्यक्ति बड़े विचित्र भी पाया।।
हर पल ने मुझे कुछ नया सिखाया।
आधा विश्व हैं घूमा घर भी बसाया।।
kuch jivan bhar ke mitra bhi paaya
kuch vyakti bade vichitra bhi paaya
har pal ne mujhe kuch naya sikhaya
aadha vishwa hai ghooma ghar bhi banaya
I made some friends for forever
I met some strange ones as well
Every moment taught me something new
I visited half the world and made a home too
कितने सपनों को हैं मैंने पाया।
ज्ञान आत्म-सम्मान कमाया।।
संतुष्ट रहा और बढ़ता आया।
दस वर्ष यहां मैं तय कर आया।।
kitne sapnon ko hain maine paaya
gyan atama-samman kamaya
santusht raha aur badhta aaya
das varsh yaha main tay kar aaya
Many of my dreams were fulfilled
I earned knowledge and self-esteem
I was contented and kept going on
And that is how I completed ten years
- अमिताभ रंजन झा
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