Saturday, July 7, 2012

पिता

हर पिता को समर्पित!
Dedicated to every father!

पिता बना तो जाना
ये काम नहीं आसान
हर पिता को मेरा
शत शत है प्रणाम|

हर पल मन में एक लगन
सदा खुश रहे संतान
पल पल अमृत उसे मिले
सो खुद करते रहे विषपान|

टूटे चप्पल पावों में अपने
तन पर वस्त्र पुरान
नव वस्त्र बच्चों को मिले
जन्मदिवस, होली, रमजान|

अपने इक्षा को परे रख
जोड़े पुस्तक का दाम
हो अथक अनगिनत प्रयास
दिन रात वो करते काम|

शिक्षा, शक्ति, संस्कार आपसे
आज चलू जो सीना तान
मस्तक ऊँचा आपके कारण
है सफल पिता का प्रमाण |

क्षमा अपेक्षित है
जो भूल हुयी अनजान
त्याग, धर्म की मूर्ति
पिता हैं कितने महान|

पिता बना तो जाना
ये काम नहीं आसान
प्रिय पिताजी आपको
मेरा शत शत है प्रणाम|

- अमिताभ रंजन झा

Poems dedicated to mother:

माँ मुझको कलेजे से लगाये रखना

माँ तू याद आती है

आंतकवादी की माँ

हाड़ मांस का पुतला

- अमिताभ रंजन झा

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