A poem dedicated to childhood friendship:
बचपन के दो मित्र जा रहे
हाथों में डाले हाथ|
परछाई छुटे परवाह नहीं
छुटे कभी न साथ||
बालपन के जीवन कि
है अनोखी बात|
मासूमियत कण कण में
पावन हैं जज्बात||
संग सदा रहने की ख्वाइश
सर्दी गर्मी बरसात|
पढ़े लिखे खेले कूदे
सुबह शाम दिन रात||
- अमिताभ रंजन झा
Photo by Vishakha!
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