Wednesday, October 16, 2013

तारे गिनता रहता हूँ




आधी रात आँगन में लेटा
नींद नहीं आँखों में मेरे।
आसमान छत है मेरा
धरती मेरी बिस्तर है।।
पलके झपक रही, दिल धड़क रहा
शीतल पवन झल रहा है पंखा।
ओश बनी है साक़ी मेरी
बुँदे ठुमक कर ढाल रही हैं।।

सूर्य पिताजी मेरे
काम से अब तक न लौटे।
चन्द मैया मेरी
आँगन में उजाला बांटें।।
सितारे भाई बहन मेरे
मुझसे करते हैं बातें।
दिल की धड़कन जो कहती है
वो टिमटिम करके सुनते हैं।।

जब सारी दुनिया सोती है
मीठे सपनों में खोती है।
मैं चाह के सो न पाता हूँ
बस तारे गिनता रहता हूँ।।
जन्म से ही गिनता आया
पर थोड़े से ही गिन पाया।
अभी सारे गिनना बाकी है
और कोशिश आज भी जारी है।।

ये कार्य नहीं है आसान
बाधाये करती परेशान।
कभी गिनते गिनते थक जाता
कभी गिनते गिनते रुक जाता।।
कभी मेघ को गिनना नहीं कबूल
कभी वर्षा धोके आँखों में धूल।
कभी गिनती ही मैं भुला हूँ
पर हार न मैंने मानी है।।

और कोशिश आज भी जारी है।।
और कोशिश आज भी जारी है।।

- अमिताभ रंजन झा

Tuesday, October 15, 2013

एक हजार टन सोने का खजाना


एक संत, एक नेता और एक सर्वेक्षण अधिकारी ताजमहल के पिछवाड़े बैठ कर नशा कर रहे थे। भांग , गांजा, मदिरा घंटो तक चलता रह। तीनो नशे में धुत्त होते गये और डिंग हांकने लगे।

रात में ताजमहल चम् चम् चमक रहा था. तीनो की आँखें चौंधिया रही थी। संत बोले इस ताजमहल का कुछ करना पड़ेगा। नेता बोला वो तो ठीक है पर इस ताजमहल का कुछ करना पड़ेगा। अधिकारी बोला, नहीं यार, क्या बक रहे हो? मेरी मानो तो इस ताजमहल का कुछ करना पड़ेगा। तीनो बोले इसको ध्वस्त करवा देते देते हैं।

वहा कुछ लोग सारा तमाशा रहे थे। वो उनपर हंसने लगे। वो तीनों लोगो से लड़ने और बोले हम कुछ भी कर सकते हैं। लोग हँसते हुए चले गए। कुछ समय बाद वो तीनों नशे में बेहोश हो गए। कुछ समय बाद संत को होश आया।

उसने दोस्तों को जगाया और कहा मुझे मुमताज और शाहजहाँ का अभी अभी सपना आया। उन्होंने कहा कि "यहाँ ताजमहल के नीचे एक हजार टन सोने का खजाना छुपा है।" नेता बोला मुझे भी यही सपना आया। अधिकारी ने ताजमहल खुदवाने का आदेश दे दिया।

Inspired by story Sadhu dreams of hidden gold, ASI to excavate fort in UP

- Amitabh Ranjan Jha