Friday, December 6, 2013

यही उनकी जात है, बस भौंकना ही काम है।

लोग पग-पग पर छले,
नजर लगे जब-जब मिले,
तिल-तिल कर सदा जले,
बिन बात कालिख मले,
दिल जब परेशान हो, होता नहीं कोई काम है।

ज़माने के तानों का क्या,
तीखे वाक्-वाणों का क्या,
लोगों की बातों का क्या,
श्वानों की बारातों का क्या?
यही उनकी जात है, बस भौंकना ही काम है।

सामने कहे बड़ा होनहार,
पीठ पीछे कहे तुझमें सौ विकार,
परवाह क्या उन असुरों की,
दर्द देख कर दूसरों की,
मुस्कुराना शौक़ है, टांग अड़ाना काम है?

उपेक्षा से पूछते वो
क्या तुझमें है सिंग और पूंछ ?
विनम्रता रूपी दुम कही हिला लिया,
दबंगता का सिंग भी कभी दिखा दिया,
इनके सदुपयोग से, होता हरेक काम है।

क्रोध आया उबल गया मैं ,
शांत हुआ संभल गया मैं,
ठोकर से मैं गिरा, उठा,
ऐसा ही है जग सदा,
सब पे हँसना धर्म है, सब को डंसना काम है।

ह्रदय फटा तो रो लिया,
थक गया तो सो लिया,
जागा जब फिर चल दिया,
सुख भी जिया दुःख भी जिया
जिंदगी के सफ़र में, रुकने का नहीं कोई काम है।

अमानुषों के भीड़ में,
कुछ भलेमानुस भी मिले,
निःस्वार्थ हर मदद की,
स्नेह दिया, साथ चले,
उनके काम आऊँ सदा, ऋणी रहूँ ये काम है।

मस्त सदा व्यस्त रहूँ,
खुश रहूँ, हँसता रहूँ,
कभी न मैं बुरा बनूँ,
बुरे जो उन्हें क्षमा करुँ,
पर नाम उनका याद रख, सावधान रहना काम है।

मैं सोचता हूँ कहा से आया,
किसने मुझ को बनाया?
मंज़िल कहाँ, जाना कहाँ,
कब तक हूँ, मैं कौन हूँ?
क्या मेरा नाम है, क्या यहाँ मेरा काम है?

दूर गगन से मैं आया,
विधाता ने बनाया,
जाऊँ जहाँ मंज़िल वहाँ,
कुछ क्षण के जीवन पथ का पथिक मैं,
चल मेरा नाम है, चलता रहूँ यही काम है।

- अमिताभ रंजन झा


Monday, December 2, 2013

'चच्चे' की माँ



अमेरिका में एक छोटे से बच्चे की दादी माँ गर्भवती हो गयी। दादी माँ अल्ट्रा साउंड करवा के लौट रही थी, बेटा होने वाला था। बच्चे ने दादी माँ के पेट की तरफ इशारा कर पूछा दादी माँ ये क्या है। दादी माँ ने बच्चे के दोनों गालों को अपने हाथों में भर कर कहा : मैं तुम्हारे 'चच्चे' की माँ बनाने वाली हूँ।

- अमिताभ रंजन झा

Sunday, December 1, 2013

मंगलयान



मंगल यान ने अंतरिक्ष में सौ दिन पुरे कर लिए हैं! भारत के विज्ञानिकों को समर्पित एक कविता:

मंगलयान
भारत के वैज्ञानिकों ने दुनिया को दिखला दी ज्ञान ।
अनबुझ अनंत अंतरिक्ष में बढ़ चला है मंगलयान ।।
सफल हुयी वर्षों की मेहनत पूर्ण हो रहे सपन सुहान ।
आँखों में मन में विश्वास मेरा भारत कितना महान ।।

सात सौ करोड़ विश्व उत्सुक सौ करोड़ खड़े सीना तान ।
जोश से ताली सीटी बाजे उठ कर लोग करें सम्मान ।।
ह्रदय पर अपने रख कर हाथ श्रद्धा से गाएं राष्ट्रगान ।
उछल उछल कर देश ये बोले हिन्दुस्तान हिन्दुस्तान ।।

- अमिताभ रंजन झा

Translation:
The scientist of India showing their wisdom to world.
Mars-craft is advancing in the unknown, infinite space.
The hard work of years is a success and sweet dreams are getting fulfilled.
There is faith in eyes and heart that India is a great country.

The world of Seven billion is curious and one billion feeling proud.
People are clapping, whistling and giving standing ovation.
Signing nation anthem with their hands on their chest.
Jumping with joy and cheering India India.