मजहब नहीं सिखाता
आपस में वैर रखना।
ये भारत सिखाता है
तुम भी ध्यान रखना।।
हिन्दू और मुस्लिम
सिख और ईसाई।
भारत में भाई भाई
तुम ये ज्ञान रखना।।
सिर्फ डॉक्टरी पढ़कर
बना न कोई डॉक्टर।
सम्मान का पेशा है ये
सेवा और भरोसा हैं ये।।
तेरा न लेना देना
पर एक अहसान करना।
नफरत बेचने वाले
खुद को डॉक्टर न कहना।।
खुद तो गुमराह है ही
इंसानियत पे स्याह है ही।
सुरा आयात रटा कोई तोता
पर रटने से इल्म नहीं होता।।
तेरे विडियो पे खूब हंसी आती है
शब्दों में मक्कारी झलक जाती है।
ऐसी बेसिरपैर की बातों से
औरो को न गुमराह करना।।
तुम अपने धर्म का
बेशक सम्मान करना।
अपने धर्म ग्रन्थ का
खूब गुणगान करना।।
पर दूसरे धर्मों का
यूँ न अपमान करना।
भारत की माटी का
न नमक हराम करना।।
प्रजातंत्र भारत में
बोलने की है स्वतंत्रता।
पर भावना से खेलने की
ये कैसी षंडयंत्रता।।
समाज को बांटे है तू
मनमें बोये कांटे है तू।
मन में तेरे है ज़हर
इसका इलाज करना।।
माटी हमारी एक है
लहू का रंग एक है।
हम एक है सब यहाँ
मन में ये भाव रखना।।
नाम हैं अलग अलग
मालिक हमारा एक है।
नियत हमारी एक है
ये सद्भाव रखना।।
-अमिताभ झा