कांग्रेस राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाने के बाद आज राहुल गाँधी का पहला भाषण सुना!
काफी बाते अच्छी लगी.
वो कांग्रेस की कमियों को गिनाते हैं, उस हद तक बदलाव की बात करते हैं जिसको कहने की साहस किसी भी पार्टी के धुरंधर राजनीतिज्ञ भी नहीं कर पातें हैं. इस समय जब सबकी आँखें २०१४ तक ही देख पा रही हैं वो उससे कही आगे कि दृष्टि रख रहे हैं. आखिर क्यों नहीं? इस समय भारत की राजनीती में उनके सिवा कोई दूसरा नहीं है जो इतने आगे तक सोच रख सके. एक वही है जो आने वाले सालो तक निर्विवाद निर्विरोध नेतृत्व दे सकते हैं. कारण है कि अब तक का इतिहास गवाह है, भारत की राजनीती गाँधी परिवार के बिना नहीं चलती है. एक तरफ कांग्रेस उनसे एकजुट रहती है. तो दूसरी तरफ अन्य पार्टियां उनके खिलाफ आग उगल कर राजनीती करती है. और ये सिलसिला जारी रहेगा ऐसा लगता है.
जब वो बोलते हैं तो लगता है हम में से कोई आम आदमी बोल रहा है जो साधारण है, सीधा सादा है और जो सपने देखता है और उन सपनो को पुरे करने का प्रयास करता है. हारता है पर टूटता नहीं है, और हिम्मत से उठकर आगे बढ़ता है. व्यक्तिगत कटाक्ष नहीं करता है, कीचड़ नहीं फेंकता, दुसरे को नीचा दिखने की कोशिश नहीं करता है.
पहले भी वो अपने अलग अंदाज से लोगो का ह्रदय जिनते का प्रयास करते रहे हैं. जब किसी भी पार्टी के वरीय और कनिष्ठ आरामतलब नेतागण वतावान्कुलित कक्ष में आराम फरमा रहे होते, वो देश के किसी कोने में कंधे पर बोझ ढो रहे होते, गरीब के घर भोजन और विश्राम कर रहे होते. उन्हें बच्चा बोल जाता, नौटंकीबाज कहा जाता, ऐसे शब्द बोले जाते हैं जिससे कोई भी तिलमिला जाये. पर वो उस स्तर पर नहीं उतरते हैं. देखना है वो भारत की राजनीती की तस्वीर बदल पाएंगे या भारत की राजनीती उन्हें बदल देगी. देखना है कि वो वही सीधे सादे व्यक्ति बने रहेंगे या घाघ एवं कटुभाषी राजनीतिज्ञ में तब्दील होंगे.
आशा है उनके नेतृत्व में कांग्रेस और देश नयी ऊँचाइयों को चूमेगा. किन्तु रास्ता आसान नहीं होगा. देश की एक एक समस्या और देशवासी उनका पग पग पर इम्तिहान लेते रहेंगे.
राहुल गाँधी को बहुत बहुत शुभकामना!
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