Showing posts with label नेत्रदान. Show all posts
Showing posts with label नेत्रदान. Show all posts

Wednesday, February 3, 2010

निगाहों पे निगाहें

भीड़ से भरे बाज़ार में
निगाहों को पढ़ती मेरी निगाहें

निगाहों को ढूंढती निगाहें
निगाहों से टकराती निगाहें

निगाहों से शर्माती निगाहें
निगाहों से कतराती निगाहें

निगाहों को घूरती निगाहें
निगाहों से डरती निगाहें

निगाहों से सहमती निगाहें
निगाहों से घबराती निगाहें

निगाहों को समझाती निगाहें
निगाहों से बतियाती निगाहें

निगाहों से सहमत निगाहें
निगाहों से परेशान निगाहें

निगाहों में खोयी निगाहें
निगाहों को चूमती निगाहें

निगाहों को पूजती निगाहें
निगाहों को साराहती निगाहें

निगाहों से छुपती निगाहें
निगाहों से चिढ़ती निगाहें

निगाहों पे इतराती निगाहें
निगाहों को सुलाती निगाहें

फिर एक नेत्रहीन को देख
हुयी नम मेरी निगाहें

हुयी नम मेरी निगाहें

नेत्रदान महादान!

- अमिताभ रंजन झा