नेता
आपका नेता वो हो
जो पढ़ा लिखा हो
आपका सच्चा सखा हो|
जिसमें प्रदेश के विकास की ललक हो
जिसके सपनों में आपके सपनों की झलक हो|
जिसके रग रग में आत्मविश्वास हों
जिसमें बसा आपका विश्वास हो|
जिसके सीने में इन्साफ हो
और जिसकी छवि साफ़ हों|
जिसका गगन-चुम्बी स्वाभिमान हो
जिसके पास समस्यों का समाधान हों|
जिसकी भुजाये विशाल हो
जिसके खून में उबाल हो|
धर्मं एवं जाति की राजनीती जिसकी रूचि न हो
विकास के मार्ग पर जिससे त्रुटि न हो|
जो आपके कंधे से कन्धा मिला के चले
जो आपके संग फुले फले|
न की वो जो सिर्फ अपना कल्याण करे
और सिर्फ परिजनों का उत्थान करे|
आपका नेता वो हो
जो पढ़ा लिखा हो
आपका सच्चा सखा हो|
- अमिताभ रंजन झा
Sunday, March 29, 2009
A poem for dream politician
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