Monday, January 17, 2011

२०११ में भारतीय राजनीति

२०११ में भारतीय राजनीति बहुत घिनौनी होती जा रही है. पिछले लोकसभा चुनाव में मतदाताओं ने कांग्रेस के पक्ष में वोट किया था. कांग्रेस उस मद में चूर होकर भ्रष्टाचार के नए कीर्तिमान स्थापित कर रही है. कहावत जुबान पर आ रही है, हमाम में सभी नंगे है पर जो पकड़ा जाये सो चोर. राजमाता एवं युवराज के चरणों में लिपटी सिमटी कांग्रेस से जनता को बस मिल रही है तो कमरतोड़ महंगाई. परिवारवाद एक अलग रोचक विषय है, यदि बापू, जेपी, डॉ राजेंद्र प्रसाद, चंद्रशेखर आजाद, भगत सिंह, सुभाष चन्द्र बोस जैसे अनगिनत महानुभावो ने अपने परिवार के लिए थोडा भी स्वार्थ दिखाया होता तो आज उनके बच्चे, सगे सम्बन्धी भारत की राजनीति में पहचान के मोहताज नहीं होते. हालाँकि युवराज चाहते तो वातावंकुलित कक्ष में बैठे आराम से प्रधानमंत्री बन सकते थे, किन्तु वो फ़िलहाल भारत को जानने में लगे हैं सो प्रसंशा के पात्र अवश्य हैं.

दूसरी तरफ उसी चुनाव में हार से तिलमिलाई और अटल बिहारी वाजपेयी के बाद एक सक्षम नेतृत्व की तलाश में भटक रही भाजपा छोटे बच्चे की तरह बर्ताव कर रही है, कभी आंसू बहा रही है तो कभी चिल्ला रही है. बच्चे स्कूल न जाने की हठ करते हैं, वो संसद न जाने की जिद पर अड़ रही है. जब देश की सबसे बड़ी विपक्ष पार्टी का ये हाल है तो, तो जो मतदाता चुनाव का बहिष्कार करते है, वोट नहीं करते हैं, वो क्या गलत करते हैं? मुझे गलत न समझे, मेरी राय में वोट करना चाहिए, अवश्य करना चाहिए.

कभी एक मजबूत नेता कि छवि वाले लाल कृष्ण आडवानी और जिन्ना प्रकरण में अपने ही पैरों पर कुठाराघात करने के बाद आजकल अपना स्तर और गिराते हुए, निजी आक्षेप पर उतर आये हैं. पूरी दुनिया को पता है कि स्विस बैंक में रखा काला धन, भारत के भ्रष्ट राजनीतिज्ञों का है. नखविहीन हो चुकी तीसरा मोर्चा हो या झगड़ालू बनती जा रही भाजपा, सरकार में रहते वो ये बात भूल जाते हैं. बोफोर्स का सच कभी सामने नहीं आता है, स्विस में रखे काले धन की कोई चर्चा नहीं होती है और उस धन को वापस लाने के लिए कोई कदम नहीं उठाते है. भ्रष्टाचार के पुराने केस चलते रहते है और नए घोटाले होते रहते हैं. उनसे पूछना चाहिए कि चुनाव में बहुत देर है, अभी से जनता को क्यों बेवकूफ बना रहे हैं?

क्या सरकार, भाजपा या तीसरा मोर्चा से ये अपेक्षा नहीं होनी चाहिए कि वो परिपक्व व्यवहार करें, मर्यादा में रहे, संयम बरते, संसद जाएँ, बहस करें? भ्रष्टाचार, महंगाई एक दिन की बात नहीं है, ये एक राष्ट्रीय चिंता का विषय सदा से रहा है सो मिल कर सकारात्मक सहयोग दे, सुझाव दें कैसे निदान हो सकता है और काम करे. विपक्ष को शिकायत है तो मर्यादा में रहकर प्रतिरोध करे, एक दुसरे पर कीचड़ न फेंके, अगले चुनाव में सारे मुद्दे उठाये और यदि सरकार बने तो कड़े और सटीक कदम उठाये, सारे भ्रष्टाचार के केस पर परिणाम दे, काला धन वापस लाये.

जनता का हाल मत पूछिए. भ्रष्टाचार और चिल्लपों के बीच एवं आसमान छूती महंगाई के तले दबे हम आम आदमी किसी तरह अपनी रोजी रोटी कमाने में लगे हैं, ताकि घर चलता रहे. और एक आवाज भी नहीं आती है क्योंकि लाखों करोड़ों के घोटालो के आरोपी को सजा मिले न मिले, जनता के सच्चे हितैषी और मानव कल्याण के लिए जीवन अर्पण करने वाले को पल भर में राष्ट्र द्रोह जैसे भयावह आरोप में सलाखों के पीछे भेज दिया जाता है. अस्मत लुटने के पश्चात शोषित स्त्री को जेल होने में तनिक भी देर नहीं लगती है. सो खामोश!

गणतंत्र दिवस निकट है, नेतागण ध्वज फहरा कर भाषण देंगे, राष्ट्रगान गाये जायेंगे, गरम जलेबी वितरित होगी, गली गली कानफाड़ू गाने बजेंगे मेरे देस की धरती सोना उगले, ए मेरे वतन के लोगो. अगले दिन पुनरमूषकोभवः, वही भ्रष्ट्राचार, घपले, अपराध, रोना धोना, वही काम-धाम. जिंदगी चलती रहेगी.

सबको गणतंत्र दिवस की अग्रिम शुभकामनाये!

This post is also published on bharatbolega.com. Thanks Neeraj Bhushan ji for this!

- अमिताभ रंजन झा

2 comments:

  1. shayad agle lok sabah chunav mein NDA ka govt ban skta hai...kyuki comonwealth,2G scam or inflatn ko dkhte hue hi av log voting karenge nxt elctn me....or agr av b koi change na aaye hamare politcl setup me to fir....god knws!!!hope 4 d best....happy republic day!!!

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