Saturday, January 15, 2011

अंगना के मोर

A poem for Aishwarya and Aakash! सूनू पाकल परोर किया नैन में अइछ नोर, चिचियाई छी जोर शोर कुनो मोन में अइछ चोर? कनी हंसू बाजू हमर गड्डी कड़ोड़, कनी झूमू नाचू हमर अंगना के मोर| सांझे सा रुसल छी होई छई आब भोर, कान पकरै छी होम लगय छी अहांके गोर| कनी करेजा स सटू हमर बउवा बेजोड़, कनी कोरा में आउ हमर अइखक इजोर| कनी हंसू बाजू हमर गड्डी कड़ोड़, कनी झूमू नाचू हमर अंगना के मोर| -अमिताभ रंजन झा

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