Friday, September 5, 2008

प्रतीक्षा

आज मेरे पुत्र को गए तीन महीने हो गए ..

चाहे कर लू लाख जतन
पर याद तुम्हारी आएगी
पुत्र शोक की भीषण पीड़ा
आजीवन मुझे तड़पाएगी|

बिखर चूका हो संसार किसी का
नींद उसे क्या आएगी
पथरायी से आँखें होंगी
मृत्यु ही उसे सुलायेगी|

कायर सी बातें करते मुझको
शर्म तो थोड़ी आएगी
भाग्य में तुझसे विरह लिखा था
नियति ही तुझे मिलाएगी|

करूँ प्रतीक्षा तेरे आने की
किस्मत तुझे लौटाएगी
सीने से जब लगाऊंगा
ममता की प्यास बुझ जाएगी|

जिसे गोद में बसना था
धरती की गोद नसीब हुयी
एक पिता के सारे अरमान
किस्मत के हाथों शहीद हुई|

- अमिताभ रंजन झा


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