Saturday, August 18, 2012

टू जी सी ए जी

टू जी सी ए जी
हर घोटाले किये जी
मैं हूँ पीएम जी
करता हूँ मैं जो
मेरे मंत्री करे जी
लूटे करोड़ फॉर सातों जनम
बोली है नरम
माय नेम इज मोहन

सीता का लखन
भ्रष्टो का सजन
दूँ सबको भरम
डालू देश पे कफ़न
फेंका इमानो धरम
अब यही है करम
बोली है नरम
माय नेम इज मोहन

अपोजिसन है गरम
जले उनका तन मन
बौखलाहट परम
गिराने को हमें
करें हर जतन
पर टिके रहे हम
बोली है नरम
माय नेम इज मोहन

लालच अब चरम
मैं लूटूं वतन
करूँ इसका पतन
त्रस्त जनता जनार्दन
आजिज है जन जन
नहीं मुझको शरम
बोली है नरम
माय नेम इज मोहन

राजनीती इतिहास दर्पण
राज किया है हरदम
करते रहे गबन
पर जब भी हारे
अगेन वी हैव कम
करे सब समर्पण
वोट अपना अर्पण
माय नेम इज मोहन

समाचार देखने का
अब करता नहीं मन
अखबार देख के
लगे है अगन
लाखो करोड़ लुटे
संसद के महाजन
बोली है नरम
हिज नेम इज मोहन

- अमिताभ रंजन झा

(Mukhra inspired by one two ka four song by Ram Lakhan)
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1 comment:

  1. and they are made bandobast for Kalmadi, who bought us lots of shame.

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