Today I saw bright full moon playing hide and seek with cloud. This inspired me to write this poem!
सीना तू इतना धड़क क्यों रहा
लहू तू रगों में भड़क क्यों रहा
ऑंखें तू इतना फड़क क्यों रही?
राज आज खुल जाना है|
ऐ मगन गगन हटा दे घटा
चन्दा को आज मनाना है
दीदार इज़हार आज हो
प्यार ह्रदय का दिखाना है|
शर्मीली शाम लाली तू फ़ेंक
गालों में उसके लगाना हैं
रात जरा जज्बात दिखाना
आज स्नेह मोह लुटाना है|
ऐ सूर्य जरा बत्ती तो बुता
ज्योति में सो न पाती है
चांदनी तू माहौल बना
बाँहों में उसको सुलाना है|
ऐ मलय प्रलय न मचा
बिजली से बहुत घबराती है
अँधेरा तू थाम ख़ामोशी
दिल से उसको लगाना है|
पवन थोड़े सुमन तो गिराना
बालों को उसके श्रृंगारना है
तारे तू सारे गिराना व्योम
पावन दामन को संवारना है|
सुबह जोश से ओश गिराना
माला मोती का बनाना है|
इन्द्रधनुष तू रंग फैलाना
जीवन रंगों से सजाना हैं|
- -अमिताभ रंजन झा
सीना तू इतना धड़क क्यों रहा
लहू तू रगों में भड़क क्यों रहा
ऑंखें तू इतना फड़क क्यों रही?
राज आज खुल जाना है|
ऐ मगन गगन हटा दे घटा
चन्दा को आज मनाना है
दीदार इज़हार आज हो
प्यार ह्रदय का दिखाना है|
शर्मीली शाम लाली तू फ़ेंक
गालों में उसके लगाना हैं
रात जरा जज्बात दिखाना
आज स्नेह मोह लुटाना है|
ऐ सूर्य जरा बत्ती तो बुता
ज्योति में सो न पाती है
चांदनी तू माहौल बना
बाँहों में उसको सुलाना है|
ऐ मलय प्रलय न मचा
बिजली से बहुत घबराती है
अँधेरा तू थाम ख़ामोशी
दिल से उसको लगाना है|
पवन थोड़े सुमन तो गिराना
बालों को उसके श्रृंगारना है
तारे तू सारे गिराना व्योम
पावन दामन को संवारना है|
सुबह जोश से ओश गिराना
माला मोती का बनाना है|
इन्द्रधनुष तू रंग फैलाना
जीवन रंगों से सजाना हैं|
- -अमिताभ रंजन झा
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