कहानी प्रस्तुत है ... शीर्षक है.... पोन ठेलवा
एक देश में एक नेता हैं। वो 2014 चुनाव में राष्ट्रीय लहर में भी बुरी तरह हार गए...
फिर भी बैक डोर से मंत्री बने... वित्त मंत्री के रूप में भयानक फैसले लेते रहे...
प्रोविडेंट फण्ड में,
कभी उम्र की सीमा
कभी ब्याज दर में छेड़छाड़
नेशनल पेंशन स्कीम में
इतना दिमाग और रिस्ट्रिक्शन
कि उसको डूबा ही समझिए
ये नही की पहले स्टॉक एक्सचेंज में,
बिभाग अनियमितता को दुरुस्त करें
नोटबन्दी में
आम आदमी, गरीब, माध्यम वर्ग,
व्यापारी, दुकानदार,
वकील, डॉक्टर, प्राइवेट प्रैक्टिशनर
सबको पसीना पसीना
तबाह कर दिए
जी एस टी में
गाहक दुकानदार दोनो तबाह
कही से भी दाम में राहत नही
फल, फूल, सब्जी,
चश्मा, रेस्टोरेंट, वस्त्र, उपकरण
सब जगह सबकुछ महंगा
जाहिर है मांग और खपत कम हो गयी
कुछ कंगाल हो गए
कुछ मितव्ययी
कहते हैं रिसेशन है
छुपाते है कि रीज़न उनके 'रिफॉर्म्स' हैं
कुछ खरीदना गुनाह
व्यासाय व्यापार करना अपराध
प्राइवेसी में
नाक अड़ा दिए
सब चीज़ में आधार नंबर चाहिए
डेटा सुरक्षा का अता पता नही
पब्लिक का डेटा
कोई भी हैकर निकाल सकता है।
डिजिटल करेंसी में
इतना जोर,
ये नही कि पहले
पहले इंफ्रास्ट्रक्चर बनाये
सिक्योर करे
एंड्राइड फ़ोन से मैलवेयर से
भगवान भरोसे रक्षा है।
टैक्स लिमिट में
राहत को दबा के रखे हैं
2019 के लिए
नौकरी करना गुनाह हो गया।
पेट्रोलियम का राहत दबा के रखे है
ये नही कि जनता को राहत दे।
कहते हैं
70 साल में कुछ नही हुवा
70 साल का अव्यवस्था है।
क्या कर रहे थे ये इतना दिन?
70 साल जनता सरकार चुनती रही
कोई तानाशाह नही हुआ।
भारत प्रगतिशील रहा,
पड़ोसी की तरह फेल्ड मुल्क नही बना।
घर घर मे मोबाइल, आई टी में उन्नति
एच ए एल, इसरो सब हुआ।
अभिव्यक्ति की आज़ादी रही
सद्भाव और प्रेम बना रहा।
फिर भी त्रुटि तो रही ही
इसलिए इस सरकार को जनादेश मिला।
इस जनादेश का सम्मान कीजिये।
पहले के 70 साल के जनादेश का भी सम्मान कीजिये।
चुनाव नही लड़े पहले वो?
2014 में पैदा हुवे?
और अब क्या कर रहे हैं?
जनता एम पी नही चुना
तो बस लग गए पीछे?
70 साल का बहाना सुन सुन
पब्लिक का कान पक गया।
कितना बहाना कीजियेगा और कब तक?
देश मे वही एक बुधियार समझदार
बाकी सब बुरबक बेवकूफ?
लोगो में हाहाकार क्यों
सोशल मीडिया पर इनको फटकार क्यों?
कुछ तो वजह है।
फिर भी न तो
ये पद से हटने वाले हैं
न ही सुधरने वाले।
माननीय वित्त मंत्रीजी
पोन ठेलवा का आधुनिक उदहारण हैं।
माननीय प्रधानमंत्रीजी आपके नाम पे कब तक
इनको झेलना पड़ेगा?
त्राहिमाम!
समझिये
नही तो 2019,
2004 जैसे इंडिया शाइनिंग न हो जाये!
शब्द कोष
पोन ठेलवा - वो व्यक्ति जिसे ऊपर चढ़ाने या आगे बढ़ाने के लिये हमेशा पुश करना पड़ता है।
निवेदन:
यदि इस कथा को उनके कानों तक पहुंचाना चाहते हैं तो लाइक एवं शेयर अवश्य करें Facebook, Whatsapp, Twitter...।
डिस्क्लेमर:
इनकम टैक्स, सी बी आईं
इत्यादि संस्था को पीछे न लगाएं
क्योंकि इस कथा के
सारे पात्र काल्पनिक है
कहानी भी काल्पनिक है
और कथाकार भी
;)
अमिताभ झा
http://amitabh-jha.blogspot.in
एक देश में एक नेता हैं। वो 2014 चुनाव में राष्ट्रीय लहर में भी बुरी तरह हार गए...
फिर भी बैक डोर से मंत्री बने... वित्त मंत्री के रूप में भयानक फैसले लेते रहे...
प्रोविडेंट फण्ड में,
कभी उम्र की सीमा
कभी ब्याज दर में छेड़छाड़
नेशनल पेंशन स्कीम में
इतना दिमाग और रिस्ट्रिक्शन
कि उसको डूबा ही समझिए
ये नही की पहले स्टॉक एक्सचेंज में,
बिभाग अनियमितता को दुरुस्त करें
नोटबन्दी में
आम आदमी, गरीब, माध्यम वर्ग,
व्यापारी, दुकानदार,
वकील, डॉक्टर, प्राइवेट प्रैक्टिशनर
सबको पसीना पसीना
तबाह कर दिए
जी एस टी में
गाहक दुकानदार दोनो तबाह
कही से भी दाम में राहत नही
फल, फूल, सब्जी,
चश्मा, रेस्टोरेंट, वस्त्र, उपकरण
सब जगह सबकुछ महंगा
जाहिर है मांग और खपत कम हो गयी
कुछ कंगाल हो गए
कुछ मितव्ययी
कहते हैं रिसेशन है
छुपाते है कि रीज़न उनके 'रिफॉर्म्स' हैं
कुछ खरीदना गुनाह
व्यासाय व्यापार करना अपराध
प्राइवेसी में
नाक अड़ा दिए
सब चीज़ में आधार नंबर चाहिए
डेटा सुरक्षा का अता पता नही
पब्लिक का डेटा
कोई भी हैकर निकाल सकता है।
डिजिटल करेंसी में
इतना जोर,
ये नही कि पहले
पहले इंफ्रास्ट्रक्चर बनाये
सिक्योर करे
एंड्राइड फ़ोन से मैलवेयर से
भगवान भरोसे रक्षा है।
टैक्स लिमिट में
राहत को दबा के रखे हैं
2019 के लिए
नौकरी करना गुनाह हो गया।
पेट्रोलियम का राहत दबा के रखे है
ये नही कि जनता को राहत दे।
कहते हैं
70 साल में कुछ नही हुवा
70 साल का अव्यवस्था है।
क्या कर रहे थे ये इतना दिन?
70 साल जनता सरकार चुनती रही
कोई तानाशाह नही हुआ।
भारत प्रगतिशील रहा,
पड़ोसी की तरह फेल्ड मुल्क नही बना।
घर घर मे मोबाइल, आई टी में उन्नति
एच ए एल, इसरो सब हुआ।
अभिव्यक्ति की आज़ादी रही
सद्भाव और प्रेम बना रहा।
फिर भी त्रुटि तो रही ही
इसलिए इस सरकार को जनादेश मिला।
इस जनादेश का सम्मान कीजिये।
पहले के 70 साल के जनादेश का भी सम्मान कीजिये।
चुनाव नही लड़े पहले वो?
2014 में पैदा हुवे?
और अब क्या कर रहे हैं?
जनता एम पी नही चुना
तो बस लग गए पीछे?
70 साल का बहाना सुन सुन
पब्लिक का कान पक गया।
कितना बहाना कीजियेगा और कब तक?
देश मे वही एक बुधियार समझदार
बाकी सब बुरबक बेवकूफ?
लोगो में हाहाकार क्यों
सोशल मीडिया पर इनको फटकार क्यों?
कुछ तो वजह है।
फिर भी न तो
ये पद से हटने वाले हैं
न ही सुधरने वाले।
माननीय वित्त मंत्रीजी
पोन ठेलवा का आधुनिक उदहारण हैं।
माननीय प्रधानमंत्रीजी आपके नाम पे कब तक
इनको झेलना पड़ेगा?
त्राहिमाम!
समझिये
नही तो 2019,
2004 जैसे इंडिया शाइनिंग न हो जाये!
शब्द कोष
पोन ठेलवा - वो व्यक्ति जिसे ऊपर चढ़ाने या आगे बढ़ाने के लिये हमेशा पुश करना पड़ता है।
निवेदन:
यदि इस कथा को उनके कानों तक पहुंचाना चाहते हैं तो लाइक एवं शेयर अवश्य करें Facebook, Whatsapp, Twitter...।
डिस्क्लेमर:
इनकम टैक्स, सी बी आईं
इत्यादि संस्था को पीछे न लगाएं
क्योंकि इस कथा के
सारे पात्र काल्पनिक है
कहानी भी काल्पनिक है
और कथाकार भी
;)
अमिताभ झा
http://amitabh-jha.blogspot.in
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