Sunday, February 19, 2012

पटना तुझसे नाता है गहरा

A song dedicated to my home town Patna. I have deep attachment with patna. Patna gave me many things and took away many things as well! Still home town is home town! I love Patna!



पटना तुझसे
नाता है गहरा
याद मुझे तेरा
सतरंगा चेहरा
कभी कभी
खुशियों का सेहरा
कभी दुःख का
घना सा कोहरा|

होली जलाना
रंग लगाना
दिया जलाना
फटाके चलाना
सरस्वतीपूजा में
चंदा जुटाना
ईद और छठ में
गलियों को सजाना|

गाँधी मैदा में
खेले खिलखिलाए
राजेंद्र घाट पर
अकेले आशु गिराए
काली घाट पे
पुष्प बहायें
बुद्ध घाट पे
कूदे नहाये|

साईकिल से निकला
कर कोई बहाना
यारपुर,अंटघाट
से लेके सब्जी लाना
लोयला, मिलर,
जादूघर आना जाना
तारामंडल, चिरियाखाना
हवाईअड्डा कभी ठिकाना|

बेलीरोड, बोरिंगरोड
फिर गंगा किनारा
अशोक राजपथ से
चला सिटी गुरुद्वारा
कंकडबाग, राजेंद्रनगर
चला कारवां हमारा
चिड़ियाटांड, गर्दनीबाग,
बुधमार्ग में घंटो गुजारा|

दीघा मालदह के
पेड़ो पर लटकना
गंगा के तट पर
यारों को पटकना
मंदिरी की तंग
गलियों में भटकना
गुपचुप खाना
इखरस गटकना|

चनाचूर, सोनपापड़ी,
खाजा, बताशा
कोज़ी मनेर का याद
स्वाद हमेशा
पाल, वसंत विहार का
स्वादिष्ट सा डोसा
लिट्टी, समोसा
कुल्फी,अनरसा |

जी कहता है
लौट के आऊ
बीता जीवन
फिर से दोहराऊ
एक दिन शायद
ऐसा हो जाये
फिर से पटना
घर हो जाये|

जीवन किस्मत
का है मोहरा
काम काज का
हर पल मुझपर पहरा
जब तू पुकारे
बनू में बहरा
पटना तुझसे
नाता है गहरा|

पटना तुझसे
नाता है गहरा|

- अमिताभ रंजन झा

Other version:

पटना तुझसे मेरा नाता बड़ा ही गहरा है याद मुझे तेरा सतरंगा चेहरा है|
कही यादों में खुशियों का सेहरा है कही दुःख का घना सा कोहरा है|

कभी होली जलाया रंग लगाया है कभी दिए जलाके फटाके चलाया है।
सरस्वती पूजा में चंदा जुटाया है पूजा के बाद गंगा में मूर्ति भंसाया है।

छठ में गली साफ़ कर के सीरीज लाइट से सजाया है सडको पर उजला वाला बालू बिछाया है|
ईद - बकरीद संग मिल के मनाया है एक दुसरे को गले भी लगाया है।

गाँधी मैदान में खेला खिलखिलाया है राजेंद्र घाट पर श्रद्धा के आंशु गिराया है।
काली घाट में हमने पुष्प बहाया है बुद्धघाट में जमके कूदा नहाया है|

दानापुर से सिटी तक साईकिल चलाया है बारिश में भींगा नहाया है।
मंदिरी, कंकडबाग, अशोक राजपथ, हवाई अड्डा को पैदल ही नापा है। .

आम अमरुद के पेड़ो के फुनगी पर लटका है गंगा के तट पर यारों को पटका है
मंदिरी की तंग गलियों में भटकनाहै गुपचुप खाना इखरस गटकना है|

चनाचूर, सोनपापड़ी, खाजा, बताशा है कोज़ी मनेर का याद स्वाद हमेशा है।
पाल, वसंत विहार का स्वादिष्ट साडोसा है लिट्टी, समोसा कुल्फी,अनरसाहै|

चनाचूर, सोनपापड़ी, खाजा, बताशा कुल्फी, लिट्टी, समोसा, अनरसा याद आता है।
कोज़ी, मनेर, वसंत विहार, मौर्या लोक, उमा मोना, वीणा, अशोक भूले न भुलाता है।

जीवन किस्मत का मोहरा है काम काज का हर पल मुझपर पहरा है।
जब तू पुकारे दिल बनता बहरा है पटना तुझसे मेरा नाता बड़ा ही गहरा है|

जी कहता है लौट के आऊ बीता जीवन फिर से दोहराऊ।
एक दिन शायद ऐसा हो जाये फिर से पटना घर हो जाये|

पटना तुझसे मेरा नाता बड़ा ही गहरा है पटना तुझसे मेरा नाता बड़ा ही गहरा है|

2 comments: