Monday, December 2, 2013

'चच्चे' की माँ



अमेरिका में एक छोटे से बच्चे की दादी माँ गर्भवती हो गयी। दादी माँ अल्ट्रा साउंड करवा के लौट रही थी, बेटा होने वाला था। बच्चे ने दादी माँ के पेट की तरफ इशारा कर पूछा दादी माँ ये क्या है। दादी माँ ने बच्चे के दोनों गालों को अपने हाथों में भर कर कहा : मैं तुम्हारे 'चच्चे' की माँ बनाने वाली हूँ।

- अमिताभ रंजन झा

Sunday, December 1, 2013

मंगलयान



मंगल यान ने अंतरिक्ष में सौ दिन पुरे कर लिए हैं! भारत के विज्ञानिकों को समर्पित एक कविता:

मंगलयान
भारत के वैज्ञानिकों ने दुनिया को दिखला दी ज्ञान ।
अनबुझ अनंत अंतरिक्ष में बढ़ चला है मंगलयान ।।
सफल हुयी वर्षों की मेहनत पूर्ण हो रहे सपन सुहान ।
आँखों में मन में विश्वास मेरा भारत कितना महान ।।

सात सौ करोड़ विश्व उत्सुक सौ करोड़ खड़े सीना तान ।
जोश से ताली सीटी बाजे उठ कर लोग करें सम्मान ।।
ह्रदय पर अपने रख कर हाथ श्रद्धा से गाएं राष्ट्रगान ।
उछल उछल कर देश ये बोले हिन्दुस्तान हिन्दुस्तान ।।

- अमिताभ रंजन झा

Translation:
The scientist of India showing their wisdom to world.
Mars-craft is advancing in the unknown, infinite space.
The hard work of years is a success and sweet dreams are getting fulfilled.
There is faith in eyes and heart that India is a great country.

The world of Seven billion is curious and one billion feeling proud.
People are clapping, whistling and giving standing ovation.
Signing nation anthem with their hands on their chest.
Jumping with joy and cheering India India.

Saturday, November 16, 2013

भाई


एक उदर में नौ मास रहे,
एक मात -पिता की परछाई,
एक ही घर में पले-बढ़े,
बांटा सुख-दुःख, की प्यार-लड़ाई।

काम ने हमको जुदा कर दिया,
भाग्य ने न की सुनवाई,
अलग-अलग हम शहरों में रहते,
पर प्रेम न कभी घटाई।।

कभी-कभी ही अब हम मिले जब,
घूमे-खेले, खाये मिठाई,
हफ्ते छुट्टी के क्षण में बीते,
हम ले अश्रुपूर्ण विदाई।

जिनसे मिलती हिम्मत-ताक़त,
वो मेरे हैं अनोखे भाई,
जिनके लिए समस्त है अर्पण,
वो मेरे हैं अपने भाई।।

- अमिताभ रंजन झा

Thursday, November 14, 2013

जब तक प्राण शेष है संग मिल के जिए


एक कक्ष या कक्षा में रहें साथ साथ
नित्य सुबह से लेकर देर शाम तक
लिंग का अनुपात किन्तु चिंता का विषय
एक राधा के पीछे हैं श्याम दस

विद्यालय से कार्यालय तक एक हाल है
कौन कान्हा है श्रेष्ठ राधिका का सवाल है
प्रेमी प्रेमिका प्रेम से करते रहते वार्तालाप
बांकी पंक्ति में खड़े जलते करते विलाप

जब तक प्राण शेष है संग मिल के जिए
प्रेमाग्नि के अथाह सागर में हम प्रिय
जितनी तुम प्रज्वलित उतना मैं जल रहा
ह्रदय तेरा प्रफुल्लित दिल मेरा उछल रहा

जब होती विराजमान मेरे सम्मुख समक्ष
अपलक तुम मुझे मैं तुमको देखता रहा
ईश्वर भी साथ है बात है ये सत्य प्रत्यक्ष
समय रुक जा रहा और आसमान झुक रहा

अड़चने हर मोड़ पर डाले लज्जा रिवाज़
कही मजहब का वास्ता कभी टोके समाज
आँखों आँखों में निफिक्र बात होती रही
बिन कहे दिल की बात दोनों ने कही

यज्ञ हमारा ये अब रहे हो के सफल
गर ना भी हुआ तो ना भूले ये पल
तुम वादा करों मैं भी दू ये वचन
मिले न मिले पर जियेंगे सनम

भ्रमर पुष्प के प्रेम का ये चक्र
निरंतर आज भी अब तक चल रहा
कल थामी थी हमने बागडोर
नौजवान आज से भार तुम पर रहा

- अमिताभ रंजन झा

Wednesday, November 13, 2013

Satya - Naash

Two executives Satya Prakash nick named Satya and Avinash nick named Nash (A as A not like aa) were in a meeting inside a room for long time. A colleagues comes near the room and asks another colleague sitting near the room "Who all are in room"? He replies "Satya - Naash"!

Kailo Katia and Jerald Gay

There was a time when two opening batsmen from West Indies were batting like anything. The name of major partner was Kailo Katia and other was Jerald Gay.

British government honoured Kailo Katia with Sir. Next day the news headline was Sir Kailo Katia – Jerald gay Rocks and read as Sarkailo Khatiya Jara lage rocks!

Sunday, November 3, 2013

दीवाली की हार्दिक शुभकामना!


आजकल पटाखो का प्रचलन काफी बढ़ गया है । पिछला तीन दीवाली जर्मनी में बीता।

Diwali 2012




Diwali 2011


Diwali 2010



इस वर्ष के दीवाली का इन्तजार था। पर इन तीन चार वर्षो में दीवाली काफी बदल गया है। पटाखों का शोर दीवाली के एक हफ्ते पहले से शुरू है और रुकने का नाम ही नहीं ले रहा है। सर दर्द हो रहा है।

पहले ऐसा नहीं था। बचपन के दीवाली की धूमिल यादे बाकी हैं। उस समय हम पुरे घर में तीषी तेल, किरासन तेल और घी के दिए जलाते थे। फटक्का का प्रचलन नहीं था, हुक्का लोली और संठी का जमाना था। हुक्का लोली कुछ आज कल के योयो कि तरह का होता था। पुराने धोती या साड़ी के टुकड़े को लपेट का छोटी गेंद बना ली और धोती या साड़ी के कोर से बांध दिया। फिर एक पतला तार बीच में दाल दिया। तेल में गेंद को डुबाया, आग लगायी और गोल गोल घुमाया और चिल्लाया "हुक्का लोली ". छुड़छूड़ी के बदले जूट के पौधे से निकला संठी चलता था, सफ़ेद रंग का और बहुत हलका जैसे थर्मोकोल की छड़ी। अब तो बस यादें ही हैं।

एक तरफ विज्ञान ने जीवन को बहुत आसान बना दिया है। दूसरे तरफ धरती, प्राणी और पर्यावरण पर दुष्प्रभाव भी पड़ने लगा है। हमें अच्छी बातें अपनानी चाहिए और बुरे प्रभाव का त्याग करना चाहिए। हमें पटाखो का कम प्रयोग करने की कोशिश करनी चाहिए।

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दिया तले अँधेरा सुना होगा! पर जब अनेक दिया जलते हैं तो वो एक दूसरे के नीचे के अँधेरे को को मिटा देते हैं और हर तरफ प्रकाश ही प्रकाश होता है! एकता में बल है! मिलजुल कर दीवाली मनाए!

जब कभी हो घना अँधेरा
दूर हो जब तक सवेरा
प्रकाश ज्ञान का दिया जला लो!


सब गोटाके दीपावली के हार्दिक शुभकामना!
सब रौवा लोगन के दीपावली के शुभकामना!
सब लोग के दिवाली के शुभकामना देत्ते ही!
Wish you all a happy and safe Diwali!
आप सब लोगो को दीवाली की हार्दिक शुभकामना!


- अमिताभ रंजन झा

Wednesday, October 16, 2013

तारे गिनता रहता हूँ




आधी रात आँगन में लेटा
नींद नहीं आँखों में मेरे।
आसमान छत है मेरा
धरती मेरी बिस्तर है।।
पलके झपक रही, दिल धड़क रहा
शीतल पवन झल रहा है पंखा।
ओश बनी है साक़ी मेरी
बुँदे ठुमक कर ढाल रही हैं।।

सूर्य पिताजी मेरे
काम से अब तक न लौटे।
चन्द मैया मेरी
आँगन में उजाला बांटें।।
सितारे भाई बहन मेरे
मुझसे करते हैं बातें।
दिल की धड़कन जो कहती है
वो टिमटिम करके सुनते हैं।।

जब सारी दुनिया सोती है
मीठे सपनों में खोती है।
मैं चाह के सो न पाता हूँ
बस तारे गिनता रहता हूँ।।
जन्म से ही गिनता आया
पर थोड़े से ही गिन पाया।
अभी सारे गिनना बाकी है
और कोशिश आज भी जारी है।।

ये कार्य नहीं है आसान
बाधाये करती परेशान।
कभी गिनते गिनते थक जाता
कभी गिनते गिनते रुक जाता।।
कभी मेघ को गिनना नहीं कबूल
कभी वर्षा धोके आँखों में धूल।
कभी गिनती ही मैं भुला हूँ
पर हार न मैंने मानी है।।

और कोशिश आज भी जारी है।।
और कोशिश आज भी जारी है।।

- अमिताभ रंजन झा

Tuesday, October 15, 2013

एक हजार टन सोने का खजाना


एक संत, एक नेता और एक सर्वेक्षण अधिकारी ताजमहल के पिछवाड़े बैठ कर नशा कर रहे थे। भांग , गांजा, मदिरा घंटो तक चलता रह। तीनो नशे में धुत्त होते गये और डिंग हांकने लगे।

रात में ताजमहल चम् चम् चमक रहा था. तीनो की आँखें चौंधिया रही थी। संत बोले इस ताजमहल का कुछ करना पड़ेगा। नेता बोला वो तो ठीक है पर इस ताजमहल का कुछ करना पड़ेगा। अधिकारी बोला, नहीं यार, क्या बक रहे हो? मेरी मानो तो इस ताजमहल का कुछ करना पड़ेगा। तीनो बोले इसको ध्वस्त करवा देते देते हैं।

वहा कुछ लोग सारा तमाशा रहे थे। वो उनपर हंसने लगे। वो तीनों लोगो से लड़ने और बोले हम कुछ भी कर सकते हैं। लोग हँसते हुए चले गए। कुछ समय बाद वो तीनों नशे में बेहोश हो गए। कुछ समय बाद संत को होश आया।

उसने दोस्तों को जगाया और कहा मुझे मुमताज और शाहजहाँ का अभी अभी सपना आया। उन्होंने कहा कि "यहाँ ताजमहल के नीचे एक हजार टन सोने का खजाना छुपा है।" नेता बोला मुझे भी यही सपना आया। अधिकारी ने ताजमहल खुदवाने का आदेश दे दिया।

Inspired by story Sadhu dreams of hidden gold, ASI to excavate fort in UP

- Amitabh Ranjan Jha




Friday, September 13, 2013

नरेन्द्र मोदी प्रधानमंत्री उम्मीदवार


नरेन्द्र मोदी को बीजेपी के प्रधानमंत्री के उम्मीदवारी के लिए शुभकामना! उनके आगे खुद को गुजरात के बाहर प्रभावशाली साबित करने का भीमकाय कार्य है। अभी तक जहा जहा और जिस जिस चुनाव में वो गए, बीजेपी के परिणाम पे कोई फर्क नहीं पड़ा, कही हरी कही सरकार डूब गयी । यदि वो अगले चुनावों में जान लगाते हैं तो इसका प्रभाव गुजरात में शासन पर पड़ सकता है. यदि गुजरात के मोह को न त्याग सके तो इसका परिणाम गुजरात के बाहर पड़ सकता है।

उन्हें अब गुजरात के मुख्यमंत्री पद से शीघ्र इस्तीफा देकर अगले विधानसभा चुनावो में जान लगाना चाहिए। देश और राज्य रूपी दो नावों की सवारी में कही ऐसा न हो कि वो न देश में कही के न रहे न ही गुजरात में।



Source: Wiki

From my old post

पर कुछ डाटा प्रस्तुत करता हूँ नीचे तस्वीर में.



(Source NDTV)

ध्यान से देखिये तो बीजेपी हर तरफ माइनस में है.

हैरत कि बात है कि कांग्रेस प्लस में है, वो भी इतने घोटाले, भ्रस्टाचार, अव्यस्था, महंगाई और नाकामियों के बावजूद.

मन में सवाल आता है.

बीजेपी क्यों नहीं कांग्रेस के नाकामी का चेक भुना पाई? बीजेपी कमजोर कांग्रेस को भी पटकनी नहीं दे पा रही है. दक्षिण में कोई पूछने वाला नहीं. यू पी में नामोनिशान नहीं. बिहार में नीतीशजी के रहमो करम पर था.

कारण हो सकता है कि बीजेपी न तो कांग्रेस से अलग लगती है न ही कुछ अलग करती है.

कर्नाटक में, हिमाचल प्रदेश में बीजेपी सरकार गवा बैठी. मोदी का जादू भी चल नहीं पाया. ये हार गुजरात के बाहर मोदी के अस्तित्व पर, उनके प्रभाव पर प्रश्न नहीं लगाता? बीजेपी कभी इतना कमजोर नहीं था. क्या पार्टी मर रही है? जब अडवानीजी और अटलजी अपने चरम पर थे तो उनका प्रभाव देश के कोने कोने में दीखता था. अटलजी रिटायर हो गए, अडवानीजी ने जिन्ना प्रकरण में अपने पांव पर कुल्हारी मार ली. तब से पार्टी उस कद के नेता के लिए तरस रही है. मोदी वो चमक राष्ट्रीय स्तर पर दिखा नहीं पाए हैं. गुजरात के बाहर उनका प्रभाव नगण्य दिखता है.

यदि मोदीजी का गोल गुजरात में सिमटे रहना है तो वो कम से कम अगले पांच साल तक कामयाबी का जश्न मानाने के लिए स्वतंत्र हैं.

पर यदि मोदी की आकांक्षा दिल्ली है तो उन्हें गुजरात छोड़ना चाहिए. दिल्ली बसना चाहिए. नए सिरे से बीजेपी के उत्थान के लिए काम प्रारंभ करना चाहिए. देश भ्रमण करना चाहिए. नयी शुरुवात एक घोषणा के साथ कि गुजरात जीत के दिया बीजेपी को, अब हिन्दुस्तान देंगे.

पर क्या वो ये कर पाएंगे?

एक व्यवसायी समाज से होने के कारण ये कदम आसान नहीं होगा उनके लिए. व्यवसायी नफा नुकसान सोचते हैं, रिस्क से बचते हैं, पाई पाई का मोह रखते हैं. दिल्ली की गद्दी दूध को फूंक फूंक के पीने वाले और अपने घर में शेर बनाने वाले हासिल नहीं कर सकते. दिल्ली की गद्दी या तो विरासत में मिलती है या कर्म से या मज़बूरी से. विरासत उनके पास है नहीं, मज़बूरी या रहम शायद उनको कबूल न हो. रास्ता बचता है कर्म का.

मोदीजी को फिर से बधाई और शुभकामना.