Thursday, November 14, 2013

जब तक प्राण शेष है संग मिल के जिए


एक कक्ष या कक्षा में रहें साथ साथ
नित्य सुबह से लेकर देर शाम तक
लिंग का अनुपात किन्तु चिंता का विषय
एक राधा के पीछे हैं श्याम दस

विद्यालय से कार्यालय तक एक हाल है
कौन कान्हा है श्रेष्ठ राधिका का सवाल है
प्रेमी प्रेमिका प्रेम से करते रहते वार्तालाप
बांकी पंक्ति में खड़े जलते करते विलाप

जब तक प्राण शेष है संग मिल के जिए
प्रेमाग्नि के अथाह सागर में हम प्रिय
जितनी तुम प्रज्वलित उतना मैं जल रहा
ह्रदय तेरा प्रफुल्लित दिल मेरा उछल रहा

जब होती विराजमान मेरे सम्मुख समक्ष
अपलक तुम मुझे मैं तुमको देखता रहा
ईश्वर भी साथ है बात है ये सत्य प्रत्यक्ष
समय रुक जा रहा और आसमान झुक रहा

अड़चने हर मोड़ पर डाले लज्जा रिवाज़
कही मजहब का वास्ता कभी टोके समाज
आँखों आँखों में निफिक्र बात होती रही
बिन कहे दिल की बात दोनों ने कही

यज्ञ हमारा ये अब रहे हो के सफल
गर ना भी हुआ तो ना भूले ये पल
तुम वादा करों मैं भी दू ये वचन
मिले न मिले पर जियेंगे सनम

भ्रमर पुष्प के प्रेम का ये चक्र
निरंतर आज भी अब तक चल रहा
कल थामी थी हमने बागडोर
नौजवान आज से भार तुम पर रहा

- अमिताभ रंजन झा

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