Sunday, September 18, 2011

बिहार सुशासन का सच

Read 70 revealing truth about Staggering Bihar here posted on 09-12-2014

निन्दक नियरे राखिये, आँगन कुटी छबाय। बिन पानी साबुन बिना, निरमल करै सुभाय।।



एक समय था जब बिहार की स्तिथि बद से बदतर होते होते सोमालिया जैसी हो चुकी थी. लोगो ने नितीश को चुना. बिहार की गाड़ी चल पड़ी. हर तरफ विकास दिखने लगा. अगले चुनाव ने नितीश ने आह्वान किया 'निर्माण या विध्वंश, आपके हाथ में है'. जनता ने सर्वमत से निर्माण को चुना. विकास यात्रा जारी है. राज्य सरकार के आंकड़े कम से कम येही बताते हैं. इन्टरनेट, टेलीविजन छोड़िये, पटना के मुख्य मार्ग से उतर कर देखिये, सरकारी कार्यालयों में बिना किसी पैरवी के जा के देखिये, गावं जा कर देखिये. जो दीखता है वो होता नहीं. सरकार को एक आई टी पोलिसी बनाने में ६ साल लग गए.

पटना में ४ हफ्ते प्रवास के दौरान जो देखा, महसूस किया, अच्छा नहीं लगा. नहर के समर्थन के मुहीम को प्रकाशित करने के लिए अनेक पत्रकारों से मिला, अभियंत्रण महाविद्यालय एवं सुचना तकनीक कंपनी के सपनों के सन्दर्भ में बिआडा सहित अनेक सरकारी दफ्तर भी गया. पटना के विविन्न इलाकों में गया और पाया कीचड़ और गन्दगी. लोग आदि हो चुके हैं. उन्हें कोई शिकायत नहीं.

ये अवश्य पाया कि रात के दस बजे भी आप परिवार के साथ सड़क के किनारे किसी जोइंट पर आइसक्रीम का मजा ले सकते हैं. पर यदि विआइपी का काफिला गुजरा तो समझ लीजिये मजा किरकिरा. बच्चा कांय कांय करता रहेगा दस ग्यारह बजे रात में पर सिपाही नहीं बढ़ने देंगे.

माल एवं शौपिंग काम्प्लेक्स बनते जा रहे हैं किन्तु पार्किंग का कोई प्रावधान नहीं है. कार पार्क करते वक़्त ध्यान रखिये, दो मिनट क्या रुके, सजग सिपाही आपको कानून के उल्लंघन के जुर्म में पिली पर्ची थमा जायेंगे. आपको ट्राफिक थाने में जाकर दंड चुकाना होगा एवं गाड़ी के सारे कागजात दिखने होंगे. यहाँ पुलिसिया हथकंडा ये है कि उस पर्ची पर मालिक या चालक का नाम न लिख सिपाही "A" लिखेंगे जिसका अर्थ हैं अनुपस्थित. यदि आप गाड़ी नो पार्किंग में रोकते हैं और पिली पर्ची में नाम लिखा हो तो दंड होगा १०० रूपये. यदि नाम के स्थान पर अनुपस्थित लिखा हो तो दंड होगा ६०० रूपये. यदि आप ट्राफिक थाने में कार के सारे कागजात न दिखा पाए तो बाबु दुह्बाने के लिए तैयार रहिये.


विकास दर एक छलावा है. यदि प्रति व्यक्ति आय १०० रूपये प्रति माह से बढ़ कर ५०० हो जाये तो दर ४०० प्रतिशत होगा. बिहार के साईट पर इकोनोमिक सर्वे रिपोर्ट पढ़िये. लिखा है "If we consider per capita estimates of GDDP, we find that Patna (Rs. 37,737), Munger (Rs. 12,370) and Begusarai (Rs. 10,409) are the most economically prosperous districts of Bihar. On the other end of the ranking, the three most economically underdeveloped districts are Jamui (Rs. 5516), Araria (Rs. 5245) and Sheohar (Rs. 4398)." प्रश्न ये है कि ५०० रूपये प्रति माह घर चलाने के लिए काफी है? ये आधी आबादी का सच है.

सो विकास दर पर मत जाइये. राज्य के प्रति व्यक्ति आय की तुलना दुसरे राज्यों से कीजिये पता चलेगा बिहार कहा है. यदि आपके पास बहुत समय है तो दुसरे आंकड़ो की भी तुलना कर सकते है रिज़र्व बैंक साईट पर. प्रश्न ये है कि ५०० रूपये प्रति माह घर चलाने के लिए काफी है? ये आधी आबादी का सच है.

बाढ़, बिजली, भ्रष्ट्राचार जैसी पुरातन समस्याओं की स्तिथि यथावत है. कलाम साहब नालंदा विश्वविद्यालय योजना से कट चुके हैं.

पटना ऐसा भी देखा


और ऐसा भी. म्यूजियम रात में जो जगमग देखा, मत पूछिए. पर दिन में उसके सामने गन्दगी देखा, बीच सड़क पर गाय देखा और हाफ पैंट गंजी में एक भाईजी को मूतते भी देखा. भाईजी एक बार ऐसे घूरे जैसे कह रहे हों "मुते देबे कि न?"



मीडिया पहली तस्वीर दिखाती है और दूसरी नहीं. कारण चौथी दुनिया में बताया गया है. आप कृपया ये लिंक्स भी पढ़े.

Nitish's goody box A man asked his wife to give some biscuits or chocolates to his young child, who was asking too many questions––some very intelligent ones––on a variety of topics at a time. The purpose was simple: to keep the boy’s mouth chock-full, if not shut. This seems to be the strategy adopted by the Nitish Kumar government in Bihar. In the last six years it has given so much to the media-houses in the name of advertisements that they can not open their mouths to speak anything.

सोशल मीडिया और बिहार की सत्‍ता : फेसबुक पर लिखने पर दो लेखक निलंबित

एक आला अधिकारी के घर में स्कूल जैसे समाचार मीडिया में खूब प्रचारित होते होते हैं. हलाकि हकीक़त ये हो सकता है की दुसरे भ्रष्ट लोग सरकार के प्रिये हों और वो सज्जन नहीं. नतीजा सामने, एक हलाल बाकी सब लाइन पर, सरकार जो चाहे चुपचाप करते चलो. नहीं तो खैर नहीं.

दूसरा प्रश्न है कि नितीश कुमार जैसे महानेता को अनंत सिंह, अजय (कविता) सिंह एवं सुनील पाण्डेय जैसे महानायकों को साथ लेकर चलने की क्या वजह है? ये राजनीती मुझे समझ नहीं आती, आप बताये. ये गठबंधन स्वच्छ छवि के दावे पर दाग नहीं लगता?









बिहार : जितना बदला, उतना बदलना बाकी स्वप्न बिहार कोशो दूर है.

शिकायत करने गई महिला पर भड़के नीतीश
Published: December 31, 2011 10:45 IST | Duration: 0:26
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नीतीश का लोकायुक्त बेकार : टीम अन्ना
Published: November 10, 2011 11:26 IST | Duration: 0:48



किन्तु ये सत्य है कि जबतक नितीश से बेहतर विकल्प न हो, मैं भी उन्हें ही वोट देता रहूँगा. किसी ने सच कहा है 'अंधों में काना राजा'.

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