A poem dedicated to mother.
माँ तू याद आती है
कोई हो खुशी
या कोई हो ग़म|
याद आये तू
मुझ को हरदम||
माँ तू याद आती है
बहुत याद आती है|
जो दर्द दिल में है
आँशु बन के आती है
मुझको रुलाती है
तुझको बुलाती है|
माँ तू याद आती है
बहुत याद आती है|
यूँ दूर तू तो है
फिर भी देखूं मैं तुम्हे|
मेरे सामने खड़ी
तू मुस्कुराती है||
माँ तू याद आती है
बहुत याद आती है|
महसूस मैं करूँ
तू ममता लुटाती है|
रस्ता दिखाती है
लोरी सुनाती है||
माँ तू याद आती है
बहुत याद आती है|
जब होता मैं परेशां
सीने से लगाती है|
बालों में तू मेरे
उँगलियाँ फिराती है||
इतनी दूर हो गयी
क्यों दूर हो गयी?
कि आवाज भी मेरी
तू सुन न पाती है||
माँ तू याद आती है
बहुत याद आती है|
किस से शिकायत करू
क्यों छीना तुम्हे?
देव आँखे चुराते हैं
परियां मुंह छुपाती हैं||
माँ तू याद आती है
बहुत याद आती है|
माँ तू याद आती है
बहुत याद आती है||
- अमिताभ रंजन झा
माँ मुझको कलेजे से लगाये रखना
आंतकवादी की माँ
हाड़ मांस का पुतला
- अमिताभ रंजन झा
Monday, February 2, 2009
माँ तू याद आती है
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