Thursday, September 24, 2009

गूँज उठी शहनाई

मेरे घर हुआ नया सवेरा
जब से तेरा हुआ बसेरा|
हर्षित है आँगन मेरा
जब से हुआ आगमन तेरा||

मेरे घर तू आयी
त्रिलोक की खुशिया संग लाई|
कानों में ढोल बज रहे
गूँज उठी शहनाई||

भोली तू अबोली तू
मेरी प्यारी सहेली तू|
बेला गुलाब और जूही तू
मेरी चंपा चमेली तू ||

कभी हँसना तो कभी रोना
छोटी सी तू एक खिलौना|
एक एक तेरा स्पर्श
मन में लाये उत्कर्ष||

कभी गोद में रख के सुलाऊ
कभी बाँहों भर हृदय लागू|
रोम रोम मेरा पुलकित होए
भावुक मन मेरा ख़ुशी से रोये||


- अमिताभ रंजन झा