मेरे घर हुआ नया सवेरा
जब से तेरा हुआ बसेरा|
हर्षित है आँगन मेरा
जब से हुआ आगमन तेरा||
मेरे घर तू आयी
त्रिलोक की खुशिया संग लाई|
कानों में ढोल बज रहे
गूँज उठी शहनाई||
भोली तू अबोली तू
मेरी प्यारी सहेली तू|
बेला गुलाब और जूही तू
मेरी चंपा चमेली तू ||
कभी हँसना तो कभी रोना
छोटी सी तू एक खिलौना|
एक एक तेरा स्पर्श
मन में लाये उत्कर्ष||
कभी गोद में रख के सुलाऊ
कभी बाँहों भर हृदय लागू|
रोम रोम मेरा पुलकित होए
भावुक मन मेरा ख़ुशी से रोये||
- अमिताभ रंजन झा
Thursday, September 24, 2009
गूँज उठी शहनाई
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