वस्त्र जो तन पे ओढ़े हैं इन्होने
वो कोई नहीं है मच्छरदानी|
वो हैं इनके मैले चिथड़े कपड़े
जो कहते हैं इनकी कहानी||
भारत माँ की कभी ये थीं दुलारी
लोग कहते थे चीनी की कटोरी|
किस्मत ने ऐसी बदली मारी
भाग्यवान से हुयी यें दुखियारी||
बुद्ध, महावीर, अशोक जैसे माणिक्य
गुरु गोविन्द सिंह, आर्यभट, चाणक्य|
जन्मे बिहार ने अनगिनत संतान
जिनहो ने दुनिया में बढ़ाया मान||
जहाँ में उजाला इनके चिराग से
जल रही यें आज घर के ही आग से|
अपनों से ही लुटती रही अब
पीछे सबसे छुटती रही अब||
बरसों से यें है आस लगाये
चलो मिलके हम कदम बढ़ाये|
कब तक हो यें इनसे सहन
आओ करे अब इनपर रहम||
सुने माँ बिहार की करुण पुकार
आ मिल के करे इनका उद्धार|
वापस लाये इनका मान
तभी बढ़े हमारा सम्मान||
- अमिताभ रंजन झा
Thursday, August 26, 2010
माँ बिहार की करुण पुकार
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