Tuesday, October 19, 2010

चाँद बेदाग

सुनहरी आग तू
चाँद बेदाग तू
सफ़ेद मेहताब तू
इश्क बेहिसाब तू|

उभरता शवाब तू
हुस्न लाजवाब तू
हसीन रुवाब तू
नशीली शराब तू|

एक पाक किताब तू
सुबह का आफताब तू
वजह ए बेताब तू
मेरी मन्नत का जवाब तू|

दुनिया के लिए ऐतराज तू
मेरी जन्नत का रिवाज तू
ज़माने के जले पर तेजाब तू
पर मेरे हर मर्ज का इलाज तू|

मेरी गुलाब तू
मेरी नाज तू
मेरी हमनवाज़ तू
मेरी हमराज तू|

मेरे आँखों का हिजाब तू
मेरे होठों का रियाज तू
मेरी दिल की आवाज तू
मेरी हसीन ख्वाब तू|

- अमिताभ रंजन झा

No comments:

Post a Comment