हाथ गंदे जब हुए
हमने फ़ौरन धो लिया|
मन जो मैला हो रहा
उसका अब करू मैं क्या?
बुद्धि दे ओ मेरी माँ,
विनती और करू मैं क्या?
अंबे तुझसे करें दुआ !
हे जगदम्बे करो दया !
सुख के दिन जब हुए
हमने खुल के जी लिया|
दुःख के बदल छा रहे
उसका अब करू मैं क्या?
भक्ति दे ओ मेरी माँ
विनती और करू मैं क्या?
अंबे तुझसे करें दुआ !
हे जगदम्बे करो दया !
सूर्य उदित जब तक रहा
ऊँचा अपना मस्तक रहा|
अब अँधेरा छा रहा
उसका अब करू मैं क्या?
शक्ति दे ओ मेरी माँ
विनती और करू मैं क्या?
अंबे तुझसे करें दुआ !
हे जगदम्बे करो दया !
सबको दुर्गा पूजा की शुभकामनायें!
- अमिताभ रंजन झा
Thursday, October 6, 2011
विनती
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