Monday, February 27, 2012

ऐश्वर्या रानी बिलकुल छोटी

Missing my daughter whom I am going to join next week after more than a month. Skype and VoIP are wonderful but cannot replace the emotional hugs and touch.
Another poem dedicated to her in my 100th blog post.


मात-पिता की प्यारी बेटी
ऐश्वर्या रानी बिलकुल छोटी
दुबली पतली जरा न मोटी
बाल में उसके हैं दो चोटी

नयन मनोहर सुन्दर गोटी
दांते जैसे चमचम मोती
पूरी हुयी है सारी मनौती
है अब आँखों की वो ज्योति

किसी से भी जरा न डरती
खूब शरारत करती रहती
चोट लगे तो जरा सा रोती
गले लगा लो चुप हो जाती

भूख लगे तो खाती रोटी
नींद आये तो कही भी सोती
मीठे सपनों में फिर खोती
जागे जब लेती नयी चुनौती

-अमिताभ रंजन झा






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