Tuesday, March 25, 2014

भूले कभी न भूला मेरे जीवन का वो जुम्मा

भूले कभी न भूला मेरे जीवन का वो जुम्मा
दायें हाथ पे मेरे लिया था तुमने एक चुम्मा

उस दिन तुम थी मैं था और थी बस तन्हाई
मैं भी था शरमाया और तुम भी थी सकुचाई
बिजली सी थी कौंधी धड़कन ने दौड़ लगाई
भींगे होठों से तुमने मेरे हाथ पे छाप लगाई

भूले कभी न भूला मेरे जीवन का वो जुम्मा
दायें हाथ पे मेरे लिया था तुमने एक चुम्मा

सोचूँ अब भी जब मैं दिल बेक़रार हो जाता
आँखें मूँद के अपने मैं फलैश बैक में जाता
नसों में लहू थम जाती मन बेचैन हो जाता
इस अजीब नशे में मैं खोया डूबा रह जाता

भूले कभी न भूला मेरे जीवन का वो जुम्मा
दायें हाथ पे मेरे लिया था तुमने एक चुम्मा

देख मुझे इस हालत में बीबी से रहा न जाता
पूछे ऐसे क्यों खोये हो क्या तुमको हो जाता
इस दिल में राज छुपा हैं उसे कैसे मैं बताता
इश्क़ पे बस न किसी का कैसे उसे समझाता

भूले कभी न भूला मेरे जीवन का वो जुम्मा
दायें हाथ पे मेरे लिया था तुमने एक चुम्मा

- अमिताभ रंजन झा



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