Friday, October 4, 2019

मुक़म्मल मुक़र्रर

मुक़म्मल मुक़र्रर

मोहब्बत की तो बेइंतिहा मुक़म्मल
दिल टूटा तो कहा मुक़र्रर मुक़र्रर

दोस्ती की तो जी जान से मुक़म्मल
दुश्मनी की तो कहा मुक़र्रर मुक़र्रर

मेरे अल्फ़ाज़ हो मुक़म्मल मुक़म्मल
लिखा मिटाया लिखा मुक़र्रर मुक़र्रर

मुक़म्मल हर चीज़ हो यही आदत मेरी
मौत भी आई तो कहा मुक़र्रर मुक़र्रर

- अमिताभ रंजन झा 'प्रवासी'

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