सरफ़रोशी
फिर सिरफिरों में वही है सरगोशी
फिर सरफ़रोशों की है सरफ़रोशी
फिर गांधीके शहादत सी ख़ामोशी
फिर गाँधीवाद को ठहरा रहे दोषी
गांधी गांधी नहीं वो तो एक धरम है
गांधी विरोधियों में भी ऐसी शरम है
कि बंद-कमरों में नफरत उगलने वाले
बाहिर गांधी के ही गले डाल रहे माले
गाँधी को मिटाने के हसरत वाले
सौ करोड़ हैं गाँधीवाद के रखवाले
गांधी के गुनाहगारों, देश शर्मिंदा है
गांधी हमारे दिल में सदैव जिंदा है
- अमिताभ रंजन 'प्रवासी'
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