Sunday, April 7, 2013

पोखर माछ मखान ह्रदय में वाणी में मोधक गंगा


सीता माता जेता के बेटी विद्यापति के जे धरती
कखनो बायढ़ के मारल आय कखनो अकाल स परती।
सरकार नेता के कुनो नै मतलब बैन क बैसल मूर्ति
बाजैथ नै मुंह में पान भरल देखैत नै छन्ही नाक में सुर्ती।।

मिथिला में दुर्लभ अछि आयओ पानी, बिजली, शिक्षा
काज उद्योग के कुनो पता नै ने स्वस्थ्य के कुनो रक्षा।
सब सुख सुविधा हमरो भेंटा हरदम मोन में रहल इक्षा
अंधकार जीवन अछि आयओ प्रगति के अछि प्रतिक्षा।।

पेट में अन्न के दाना नै आ देह पर नै अछि अंगा
भारत माँ के हम संतान अछि हमरो सपना सतरंगा।।
पोखर माछ मखान ह्रदय में वाणी में मोधक गंगा
ठोड़ पर अछि दरभंगा आ मोन में अछि तिरंगा।।

अपन हक़ के बात करै छी हम नै छी भिखमंगा
आब और बर्दाश्त नै करब किनको व्यवहार दूरंगा।
जे मैथिल हित के बात नै करता नेता हुनका देबैन ठेंगा
मिथिला के जे माथ पर रखता देबैन नबका धोती रंगा।।

पोखर माछ मखान ह्रदय में वाणी में मोधक गंगा
ठोड़ पर अछि दरभंगा आ मोन में अछि तिरंगा।।

- अमिताभ रंजन झा

The great Mithila dreams!


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