Saturday, February 22, 2014

चलो झाड़ू चलाते हैं

अंग्रेज राज छूटा
पर अपनों ने लूटा
पहने सफ़ेद चोली
आत्मा किन्तु मैली
करतूते उनकी काली
चलो गन्दगी भगाते हैं, चलो झाड़ू चलाते हैं.

देखने में इंसान हैं
पर दिल से हैवान हैं
कर्म से शैतान हैं
पैदाइशी बईमान है
आम आदमी का फरमान अब
चलो उनका नामो निशां मिटाते हैं, चलो झाड़ू चलाते हैं.

जीवन घना अँधेरा
दूर है सवेरा
गरीबी डाले डेरा
भ्रष्टाचार का बसेरा
महंगाई ने है घेरा
फिर भी चलो मुस्कराते हैं, चलो झाड़ू चलाते हैं.

अँधेरा बीत जायेगी
नयी सुबह आएगी
गरीबी चल बसेगी
भ्रष्टाचार न रहेगी
महंगाई न चूसेगी
चलो सपने सजाते हैं, चलो झाड़ू चलाते हैं.

सरहद पर वीर लड़े
बाहर के दुश्मनों से,
हम जहा हैं वही से
भीतर के गद्दार भगाते हैं
देशभक्ति के गीत गुनगुनाते हैं
वतनपरस्ती की कसम खाते हैं, चलो झाड़ू लगाते हैं.


- अमिताभ रंजन झा

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