One day while passing through Madiwala market in Bangalore, sitting inside the Bosch shuttle I saw leaves falling from tree. Below the tree a lady was selling clay pots. Next to that I saw Total supermarket shops with transparent glasses. This inspired me to use these words and compose this song.
मन मिट्टी का घड़ा
ये मन मेरा जैसे
मिट्टी का घड़ा
भंगुर बड़ा
जब भी गिरा
टूटता ही रहे|
ये तन मेरा जैसे
शीशे का घर
चाहा भी अगर
कुछ छुपे न मगर
सब दीखता ही रहे|
ये धन मेरा जैसे
प्यासे की कहानी
हर तरफ सागर का पानी
लहरों की मनमानी
पर प्यासा ही रहे|
ये यौवन मेरा जैसे
पतझड़ का पत्ता
दो दिन का सत्ता
ये हो अलबत्ता
गिरता ही रहे|
सुनो मेरी बात
थामो मेरा हाथ
दिन हो या रात
सुख दुःख का साथ
मिल कर रहें और फिर कहें|
अब ये जीवन मेरा
न मिटटी का घड़ा
न शीशे का घर
न प्यासे की कहानी
न पतझड़ का पत्ता|
सुनो मेरी बात
थामो मेरा हाथ
दिन हो या रात
सुख दुःख का साथ
मिल कर रहें और फिर कहें|
अब ये जीवन मेरा
न मिटटी का घड़ा
न शीशे का घर
न प्यासे की कहानी
न पतझड़ का पत्ता|
-अमिताभ रंजना झा
Also Please find the english translation below:
My heart is like
a pot of clay
so brittle
when ever it drops
kepps breaking|
My body is like
house of glass
even i wish
nothing is hidden
everything remains visible|
My wealth is like
a tale of thirsty person
ocean water all around
wildness waves
thirsts continues|
My youth is like
leaves of autumn
few days of kingdom
but for sure
keeps falling|
Listen to me
hold my hands
day or night
Ecstacy or agony
live together and say|
Now my life
not a claypot
not a glass house
no longer tale of thirst
no leaves of autumn|
मन मिट्टी का घड़ा
ये मन मेरा जैसे
मिट्टी का घड़ा
भंगुर बड़ा
जब भी गिरा
टूटता ही रहे|
ये तन मेरा जैसे
शीशे का घर
चाहा भी अगर
कुछ छुपे न मगर
सब दीखता ही रहे|
ये धन मेरा जैसे
प्यासे की कहानी
हर तरफ सागर का पानी
लहरों की मनमानी
पर प्यासा ही रहे|
ये यौवन मेरा जैसे
पतझड़ का पत्ता
दो दिन का सत्ता
ये हो अलबत्ता
गिरता ही रहे|
सुनो मेरी बात
थामो मेरा हाथ
दिन हो या रात
सुख दुःख का साथ
मिल कर रहें और फिर कहें|
अब ये जीवन मेरा
न मिटटी का घड़ा
न शीशे का घर
न प्यासे की कहानी
न पतझड़ का पत्ता|
सुनो मेरी बात
थामो मेरा हाथ
दिन हो या रात
सुख दुःख का साथ
मिल कर रहें और फिर कहें|
अब ये जीवन मेरा
न मिटटी का घड़ा
न शीशे का घर
न प्यासे की कहानी
न पतझड़ का पत्ता|
-अमिताभ रंजना झा
Also Please find the english translation below:
My heart is like
a pot of clay
so brittle
when ever it drops
kepps breaking|
My body is like
house of glass
even i wish
nothing is hidden
everything remains visible|
My wealth is like
a tale of thirsty person
ocean water all around
wildness waves
thirsts continues|
My youth is like
leaves of autumn
few days of kingdom
but for sure
keeps falling|
Listen to me
hold my hands
day or night
Ecstacy or agony
live together and say|
Now my life
not a claypot
not a glass house
no longer tale of thirst
no leaves of autumn|