बारिश की एक बूंद माटी पे जा गिरी
बारिश की वो बूंद माटी से मिल गयी
बारिश की एक बूंद पत्थर पे जा गिरी
बारिश की वो बूंद टूट के बिखर गयी
तुझसे इश्क़ का अंजाम ऐसा हो गया
पहले तो मैं टूटा और पूरा बिखर गया
सोच के शायद ये अंजाम कम हो गया
मैं जोर से कूदा जा मिट्टी में मिल गया
- अमिताभ रंजन झा 'प्रवासी'
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