Thursday, July 29, 2010

हबीब या रक़ीब

एक सुनसान से कब्रिस्तान में
किसी सुन्दर से पत्थर तले
खुबसूरत कफ़न में दफ़न
करता जाता है कोई परेशान इन्सान
एक एक जज्बात और नाकामयाबी को|

जिसे देख कर हैरान मैं नादान|

वो हबीब है या रक़ीब
मैं नहीं जनता पर ये हूँ मानता
कि ज़िंदा रहने और
आगे बढ़ने के लिए
ये क़दम जरुरी हैं यारों||

- अमिताभ रंजन झा

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