राजनीति-कुंजी
राजनीति समझन में वक़्त न जाया कीजै
राजनीति-कुंजी ही बस आजमाया कीजै
विकास, रोजगार की बातें घुमा दांया-बांया कीजै
राष्ट्रवाद का घूँट पिला, गोरक्षा में लगाया कीजै
दिन में सात -आठ बार वस्त्र बदलया कीजै
टीवी, रेडियो, मोबाइल, होर्डिंग, अखबार में छाया कीजै
शहीदों कै बच्चों की शिक्षा में धन न लगाया कीजै
ओहि धन से शहीदों कै नाम भव्य आयोजन करवाया कीजै
निंदकों के कुटि को आंगन सहित जलाया कीजै
सीबीआई, आईटी, ईडी, ट्रोलआर्मी पीछे लगाया कीजै
पक्ष के भ्रष्टचारी बलात्कारी कै संत बताया कीजै
विरोधियों कै कर के नाश, मज़ाक उड़ाया कीजै
संविधान के बुझ कर, खेलते जाया कीजै
एक एक अनुच्छेद से लाभ कमाया कीजै
एक अस्थायी अनुच्छेद से अपनी जाति मिलाया कीजै
दूसरे अस्थायी अनुच्छेद कै झटके में मिटाया कीजै
स्थानीय नेता कै जेल हवा खिलाया कीजै
शांति आड़ मैं पूरे 'राज्य' करफ्यू लगाया कीजै
एक सम्पूर्ण देश कै आतंकी बताया कीजै
उग्रवाद के आरोपी कै एमपी बनाया कीजै
इतने से न रुकिए, आगे दूर तक जाया कीजै
'दक्षिण' लगा कै कर्फ्यू, हिंदी राष्ट्रभाषा बनाया कीजै
पांच डेग जग नाप कै नाम कमाया कीजै
'देश' लगा कै कर्फ्यू, अस्थायी आरक्षण हटाया कीजै
नीच कोई जो कहिहै, जाती कार्ड खेलाया कीजै
अपनी चुपड़ी बातन से सबके खूब नचाया कीजै
राजनीति-कुंजी की भाव महिमा कहत है तुच्छ प्रवासी
नित्य जो पाठ-अनुकरण करैं, जग बनिहैं ओकरी दासी
अमिताभ रंजन झा 'प्रवासी'
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